देश के सबसे बड़े टेलीकॉम ऑपरेटर होंगे आइडिया-वोडाफोन

By Team Mynation  |  First Published Jul 24, 2018, 10:52 AM IST

दोनों ने अपने मोबाइल बिजनेस के विलय के लिए टेलीकॉम विभाग को 7,248.78 करोड़ रुपये का संयुक्त भुगतान किया। 3,926.34 करोड़ रुपये नकद और 3,322.44 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी चुकाई 

आइडिया सेल्युलर और वोडाफोन जल्द ही देश के सबसे बड़े टेलीकॉम ऑपरेटर बन जाएंगे। दोनों ने अपने मोबाइल बिजनेस के विलय के लिए टेलीकॉम विभाग को 7,248.78 करोड़ रुपये का संयुक्त भुगतान कर दिया है। टेलीकॉम विभाग ने विलय के बदले में यह राशि चुकाने को कहा था।

इसकी पुष्टि करते हुए आइडिया सेल्युलर के एक अधिकारी ने बताया, 'इस विलय का विरोध जताते हुए टेलीकॉम विभाग द्वारा यह मांग रखी थी। विभाग को 3,926.34 करोड़ रुपये नकद और 3,322.44 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी चुकाई गई है।'

टेलीकॉम विभाग ने नौ जुलाई को इन कंपनियों के विलय को सशर्त मंजूरी दी थी। साथ ही विलय को रिकॉर्ड पर लेने के लिए इस राशि का भुगतान करने को कहा गया था। 

आइडिया और वोडाफोन विलय के बाद देश में सबसे बड़े टेलीकॉम ऑपरेटर बन जाएंगे। इनका बिजनेस 23 बिलियन डॉलर यानी 1.5 लाख करोड़ रुपये से ऊपर होगा। यह टेलीकॉम सेक्टर में करीब 35% की भागीदारी होगी। दोनों के पास कुल 43 करोड़ उपभोक्ता हो जाएंगे। 

कर्ज में चल रही आइडिया और वोडाफोन को इस विलय से राहत मिलेगी। फिलहाल आइडिया और वोडाफोन पर कुल 1.15 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। इस समय टेलीकॉम सेक्टर में गला काट प्रतिस्पर्धा चल रही है। इसके चलते मार्जिन सबसे निचले स्तर तक पहुंच गया है। सभी कंपनियां ग्राहकों को मुफ्त वॉयस कॉल उपलब्ध करा रही हैं। 

विलय के बाद इन दोनों कंपनियों के पास देश के सभी टेलीकॉम सर्किल में 4जी स्टेक्ट्रम उपलब्ध कराने की क्षमता होगी। आइडिया द्वारा दिए गए प्रजेंटेशन के मुताबिक, दोनों कंपनियों का संयुक्त 4जी स्पेक्ट्रम 12 भारतीय बाजारों में मोबाइल फोन पर 450 मेगाबाइट प्रति सेकेंड की ब्राडबैंड स्पीड दे सकेगा। 

इन दोनों के विलय के बाद भारती एयरटेल देश के सबसे बड़े टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर का तमगा खो देगा। इस संयुक्त इकाई में वोडाफोन की हिस्सेदारी 45.1% होगी, जबकि कुमार मंगलम बिड़ला के आदित्य बिड़ला ग्रुप की हिस्सेदारी 26 और आइडिया शेयरधारकों की 28.9% होगी। 

आने वाले समय में हिस्सेदारी बराबरी पर लाने के लिए आदित्य बिड़ला ग्रुप के पास वोडाफोन से 9.5% अतिरिक्त हिस्सेदारी हासिल करने का अधिकार होगा। अगर चार साल के बाद दोनों की संयुक्त कंपनी में हिस्सेदारी बराबर नहीं होती है तो वोडाफोन अपनी हिस्सेदारी को आदित्य बिड़ला ग्रुप के बराबर लाने के लिए पांच साल की समयावधि में अपने शेयरों की बिक्री कर सकती है। (एजेंसी इनपुट के साथ)

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