अयोध्या मामले में बदल रहे हैं मुस्लिम नेताओं और धर्मगुरुओं के सुर

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अब जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख का कहना है कि मुस्लिम समाज को अयोध्या में दी जा रही जमीन को नहीं लेना चाहिए। उन्हें अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले में खोट नजर रहा है। हालांकि शनिवार को पुर्वविचार याचिका दाखिल करने की बात को खारिज करने वाले सुन्नी वक्फ बोर्ड में इस पर दो फाड़ हो गए हैं। हालांकि बोर्ड ने पहले ही कहा था कि पांच जजों की बेंच जो फैसला सुनाएगी। उसे स्वीकार किया जाएगा।

Voice of Muslim leaders and religious leaders are changing in Ayodhya case

नई दिल्ली। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब धीरे धीरे मुस्लिम धर्मगुरुओं और नेताओं के बयानों में बदलाव आ रहा है। कुछ दिन पहले तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करने की बात करने वाले मुस्लिम समाज के नेता धीरे धीरे सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना कर अपने तरीके से सवाल उठा रहे हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अब जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख का कहना है कि मुस्लिम समाज को अयोध्या में दी जा रही जमीन को नहीं लेना चाहिए। उन्हें अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले में खोट नजर रहा है। हालांकि शनिवार को पुर्वविचार याचिका दाखिल करने की बात को खारिज करने वाले सुन्नी वक्फ बोर्ड में इस पर दो फाड़ हो गए हैं।

हालांकि बोर्ड ने पहले ही कहा था कि पांच जजों की बेंच जो फैसला सुनाएगी। उसे स्वीकार किया जाएगा। लेकिन अब बोर्ड में एक तबका जमीन नहीं लेने के पक्ष में है तो दूसरे पक्ष का कहना है कि इसमें अस्पताल और स्कूल का निर्माण किया जाए। लेकिन फिलहाल इस मामले में बोर्ड की 26 नवंबर की होने वाली बैठक में इस बारे में  फैसला किया जाएगा। 

फिलहाल जमीयत के नेता मौलाना मदनी का कहना है कि अयोध्या में मस्जिद में मूर्तियां रखी गई थीं और इसे कोर्ट ने माना है। लेकिन उसके बावजूद एक पक्ष में फैसला सुना दिया है। उनका कहना है कि कोर्ट ने ये भी कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को गिराकर नहीं किया गया था। मदन ने कहा कि बोर्ड को पांच एकड़ की जमीन नहीं लेनी चाहिए। हालांकि अरशद मदनी से पहले एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी पहले कह चुके हैं कि मुस्लिमों कोर्ट के आदेश पर पांच एकड़ की जमीन अयोध्या में खैरात में नहीं चाहिए।

लेकिन अब धीरे धीरे मुस्लिम नेताओं और धर्म गुरुओं के रूख में बदलाव आ रहा है। जबकि एएसआई की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अयोध्या में खुदाई के दौरान इस बात की पुष्टि हुई है कि ये हिंदू मंदिर था। जहां भगवान राम का जन्म हुआ था।

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