राज्य में राज्यपाल के रूप में 1 साल पूरा करने के मौके पर राज्यपाल ने एक वीडियो यूट्यूब अपलोड किया है। जिसमें राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा है। इस वीडियो में पीएम मोदी, केंद्रीय मंत्रियों, लोकसभा स्पीकर और देशभर के मेहमानों और उनके अलग अलग जगहों की तस्वीरों को दिखाया गया है और इस वीडियो में धनखड़ का वॉइस ओवर है।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच शब्दों के वाण चलने लगे हैं। राज्य के राज्यपाल ने राज्य की टीएमसी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में हिंसा और भ्रष्टाचार बंगाल में शासन का हिस्सा हो चुका है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब राज्यपाल ने राज्य की सत्ताधारी सरकार पर आरोप लगाए हैं।
राज्य में राज्यपाल के रूप में 1 साल पूरा करने के मौके पर राज्यपाल ने एक वीडियो यूट्यूब अपलोड किया है। जिसमें राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा है। इस वीडियो में पीएम मोदी, केंद्रीय मंत्रियों, लोकसभा स्पीकर और देशभर के मेहमानों और उनके अलग अलग जगहों की तस्वीरों को दिखाया गया है और इस वीडियो में धनखड़ का वॉइस ओवर है। इस वीडियो में ममता बनर्जी की भी तस्वीरें हैं। जिसमें ममता बनर्जी को पूरी तरह से निशाने पर रखा गया है। राज्यपाल 1980 में बनी सत्यजीत रे की मशहूर फिल्म 'हिरक राजार देशे से राज्य सरकार की तुलना की है। इस फिल्म दिखाया गया था कि अपने हीरों के खानों से मुग्ध राजा कैसे किसानों, मजदूरों और विद्यार्थियों को गुलाम समझता है। लेकिन बाद में राज्य की जनता उस राजा को क्रांति कर सत्ता से हटा देती है।
राज्यपाल ने लिखा है कि बंगाल के इतिहास, विरासत और लोग काबिले तारीफ है। लेकिन अगर राज्य में कुछ चिंता का विषय हैं। तो वह पुलिस संरक्षण के तहत हिंसा, भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी है। जो अब राज्य में शासन का हिस्सा बन चुके हैं। राज्यपाल ने कहा कि राज्य में लोकतांत्रिक मूल्यों का गंभीर ह्रास हुआ है और महिलाओं के अधिकारों से राज्य सरकार ने समझौता किया गया है। राज्य में पुलिस का भय नहीं है वहीं व्यापार, उद्योग शिक्षा और सर्विस सेक्टर में तेजी से गिरवट गिरावट आई है।
धनखड़ और ममता बनर्जी ने नहीं हैं अच्छे संबंध
राज्य में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल के बीच छत्तीस का आंकड़ा है और राज्य सरकार अकसर राज्यपाल को नीचा दिखाने की कोशिश करती रहती है। पिछले दिनों राज्यपाल द्वारा राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक में महज एक कुलपति शामिल हुए थे। वहीं राज्य सरकार ने राज्यपाल की शक्तियों को कम करने के लिए एक प्रस्ताव पारित कर कुलपतियों की नियुक्ति में राज्यपाल की भूमिका को खत्म कर दिया था।