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आखिर क्या है मायावती का प्लान, जानें क्यों बनाई है यूपी से दूरी

Published : Apr 11, 2019, 04:00 PM IST
आखिर क्या है मायावती का प्लान, जानें क्यों बनाई है यूपी से दूरी

सार

जब पूरे देश की निगाह उत्तर प्रदेश लगी है और बीजेपी को हराने के लिए राज्य में एसपी-बीएसपी-आरएलडी का गठबंधन हो गया है। तो बीएसपी प्रमुख मायावती यूपी के बजाए अन्य राज्यों पर फोकस कर रही है। आखिर मायावती का प्लान यूपी क्या है। यूपी से मायावती की दूरी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।


जब पूरे देश की निगाह उत्तर प्रदेश लगी है और बीजेपी को हराने के लिए राज्य में एसपी-बीएसपी-आरएलडी का गठबंधन हो गया है। तो बीएसपी प्रमुख मायावती यूपी के बजाए अन्य राज्यों पर फोकस कर रही है। आखिर मायावती का प्लान यूपी क्या है। यूपी से मायावती की दूरी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या मायावती यूपी में पार्टी के प्रदर्शन पर आश्वस्त नहीं हैं या फिर उन्हें लगता है कि यूपी में होने वाले घाटे को वह दक्षिणी राज्यों में पाट सकती हैं।

कुछ महीने पहले बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपने प्रतिद्वंदी एसपी के साथ चुनावी गठजोड़ कर सबको चौंका दिया था। हालांकि यूपी में हुए उपचुनाव में बीएसपी ने एसपी प्रत्याशियों को समर्थन दिया था। बीसएपी और एसपी ने राज्य की सीटों को आपस में बांटा और आरएलडी को भी इसमें सहयोगी बनाया। गठबंधन ने आरएलडी को तीन सीटें दी। मायावती राज्य की 38 सीटों पर चुनाव तो एसपी 37 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

लेकिन बीएसपी नेताओं को यूपी से मायावती का दूर रहना खटक रहा है। क्योंकि मायावती पहले दौर के मतदान वाले लोकसभा सीटों से ज्यादा दूर रही जबकि इन सीटों को बसपा का गढ़ माना जाता है। माया ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में महज तीन रैलियां जबकि एक रैली उत्तराखंड में की। इसकी तुलना में देखें तो बीसएपी सुप्रीमों ने दक्षिणी राज्यों में दस रैलियां की। मायावती ने देवबंद में रैली 7 अप्रैल, शकरपुर में 8 अप्रैल और बिजनौर में 9 अप्रैल को की। इसके साथ ही मायावती ने हरिद्वार 6 अप्रैल को और इसी दिन रुद्रपुर में जनसभा की।

असल में बीएसपी प्रमुख मायावती खुद को राष्ट्रीय नेता के तौर पर स्थापित करने में लगी हैं और वह बीएसपी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार रखना चाहती हैं। जिसके लिए वह दक्षिणी राज्यों में फोकस कर रही हैं। यही नहीं मायावती को लगता है कि अगर पार्टी ने कुछ सीटें दक्षिणी राज्यों में जीत ली तो उसकी राजनैतिक ताकत बढ़ जाएगी। गौरतलब है कि कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में बसपा ने जेडीएस के चुनावी गठबंधन किया था और उसका एक प्रत्याशी चुनाव जीता था। बीएसपी विधायक को मंत्री बनाया गया था हालांकि विधायक ने बाद में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

यही नहीं बीसएपी ने मध्य प्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी ठीक प्रदर्शन किया। जिसके कारण उसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार रहा। आंध्र प्रदेश में बीएसपी ने तेलगू सुपर स्टार कल्याण की पार्टी से गठबंधन किया है। अगर बीसएपी प्रमुख का दक्षिणी राज्यों के दौरों पर नजर डालें तो अभी तक उन्होंने दस चुनावी रैलियां की हैं। इसमें 2 अप्रैल को भुवनेश्वर, 3 अप्रैल को विजयवाड़ा, 4 अप्रैल को तिरुपति और हैदराबाद में प्रचार किया। इस तरह उन्होंने दक्षिण में दस सीटों पर प्रचार किया है।

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