चंद्रयान 3 का गोल्डेन कवर लोगों के बीच चर्चा का विषष बना हुआ है। कुछ लोगों का ऐसा भी कहना है कि चंद्रयान 3 को सोने से कवर किया गया है। यदि आप भी ऐसा सोच रहे हैं तो जानिए इसके पीछे की सच्चाई क्या है। बता दें कि 23 अगस्त की शााम चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग होगी।
रांची. क्या चंद्रयान 3 को सोने से कवर की किया गया है यदि चंद्रयान 3 की ऊपरी चकाचौंध को देख कर आपके लिए मन में कुछ ऐसा ही सवाल आ रहा है तो जान लें इसके पीछे क्या है सच।
चंद्रयान 3 के गोल्डेन कवर का क्या है सच
चंद्रयान 3 के ऊपर का गोल्डन कवर लोगों के मन में यह सवाल पैदा कर रहा है कि क्यां इस अंतरिक्ष यान को सोने से कवर किया गया है। यदि आपके मन में भी ऐसे प्रश्न हैं तो आपको बिल्कुल भी भ्रमित होने की जरूरत नहीं है। दरअसल यह कवर ना तो सोना है और नहीं चांदी है। लेकिन यह कोई साधारण सामग्री भी नहीं है। यह मल्टीलेयर इंसुलेशन है जिसे एमएलआई भी कहा जाता है।
अंतरिक्ष में उपग्रहों को सुरक्षित रखने के लिए आवरण के रूप में काम करता है
आपको बता दें कि एल्युमिनियम के ऊपर पॉलीमाइड की परतें होती है। एमएलए बनने के लिए इन परतों को एक साथ रखा जाता है। यह अंतरिक्ष के शून्य में उपग्रहों को सुरक्षित रखने के लिए एक आवरण के रूप में कार्य करता है। जिससे अंतरिक्ष यान सुरक्षित रहे सके।
सूर्य की रोशनी अंतरिक्ष यान पर सीधे पड़ते हैं तो उपग्रह के ऑन बोर्ड उपकरण तेजी से गर्म हो जाते हैं
साफ है कि जब अंतरिक्ष में कोई वायुमंडल या हवा जैसी बात नहीं होती तो निश्चित रूप से गर्मी और ठंड भी पृथ्वी के जैसी नहीं रहती है। ऐसे में जब सूर्य की रोशनी सीधे अंतरिक्ष यान पर पड़ती है तो उपग्रह के ऑन बोर्ड उपकरण तेजी से गर्म हो जाते हैं। सूरज की रोशनी के बिना यह जल्दी ठंडा हो जाएगा। चाहे अधिक गर्मी हो या अधिक ठंड उपग्रह के ऑन बोर्ड उपकरण में समस्याएं आने लगेंगी हालांकि उपकरण इसके प्रति कुछ हद तक प्रतिरोधी है लेकिन अंतरिक्ष एलएमआई के बिना ज्यादा लंबे समय तक नहीं चल सकता है।
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