दो साल पहले परिवार में जो बिखराव हुआ उसका असर 2017 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह से साफ हो गयी है कि चाचा शिवपाल सिंह यादव और भतीजे अखिलेश यादव में आगे भविष्य में समझौते की गुंजाइश कम ही है। लिहाजा शिवपाल ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) बनाकर लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ने का फैसला किया। शिवपाल ने राज्य की ज्यादातर सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। जबकि शिवपाल खुद फिरोजबाद सीट से पहली बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं। यहां समाजवादी पार्टी की तरफ से दिग्गज नेता रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव चुनाव लड़ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में मंगलवार को होने वाला तीसरे चरण का मतदान हालांकि सभी राजनैतिक दलों के लिए अहम है। लेकिन सबकी नजर यादव परिवार पर लगी है। जहां नौ सीटों में तीन सीटों पर यादव परिवार के लोग चुनाव लड़ रहे हैं। इन तीन सीटों में सबसे अहम दिलचस्प मुकाबला फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर होने जा रहा है। जहां चाचा शिवपाल सिंह यादव अपने भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि मुलायम सिंह मैनपुरी से चुनाव लड़ रहे तो हैट्रिक बनाने के लिए उनके भतीजे धर्मेन्द्र यादव संभल से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
सूबे के सबसे बड़ी सियासी परिवार यानी मुलायम सिंह यादव परिवार के लिए ये चुनाव काफी अहम है। अखिलेश यादव की अगुवाई वाले समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाजपार्टी से चुनावी गठबंधन किया है। लेकिन दो साल पहले परिवार में जो बिखराव हुआ उसका असर 2017 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह से साफ हो गयी है कि चाचा शिवपाल सिंह यादव और भतीजे अखिलेश यादव में आगे भविष्य में समझौते की गुंजाइश कम ही है। लिहाजा शिवपाल ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) बनाकर लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ने का फैसला किया। शिवपाल ने राज्य की ज्यादातर सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं।
जबकि शिवपाल खुद फिरोजबाद सीट से पहली बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं। यहां समाजवादी पार्टी की तरफ से दिग्गज नेता रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव चुनाव लड़ रहे हैं। यादव बेल्ट कही जाने वाली फिरोजाबाद में शिवपाल की मजबूत पकड़ मानी जाती है और स्थानीय स्तर पर नेता उनके साथ है। जबकि अक्षय 2014 में मोदी लहर में भी यहां से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। चाचा भतीजे की लड़ाई का फायदा उठाने के लिये भाजपा ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कार्यकर्ता डा चन्द्रसेन जादौन को चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं आगरा के पूर्व विधायक चौधरी वसीर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मुस्लिम वोटों को हथियाने की जुगत में है।
पार्टी के युवा नेताओं में शुमार और अखिलेश यादव के करीबी धर्मेन्द्र यादव बदांयू सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। धर्मेन्द्र मुलायम सिंह के भतीजे हैं और 2014 में वह अपनी इस सीट को बचाने में सफल रहे। लिहाजा पार्टी ने उन्हें फिर से यहां से टिकट दिया है। बदायूं सीट पर गठबंधन से धर्मेंद्र यादव हैट्रिक लगाने उतरे हैं। यहां पर उनके खिलाफ बीजेपी से योगी सरकार के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य तो कांग्रेस की तरफ से पूर्व मंत्री सलीम शेरवानी चुनावी रण में हैं। फिलहाल धर्मेन्द्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती सलीम शेरवानी हैं क्योंकि वह चार बार सांसद रह चुके हैं और मुस्लिम वोटों का झुकाव उनकी दिख रहा है।
यहां पर जातीय समीकरणों को देखें तो सबसे ज्यादा 4.5 लाख मुस्लिम, 2.5 यादव, 3 लाख दलित, 1 लाख जाट, 1.25 लाख ब्राह्मण, 1 लाख मौर्य, 1 लाख राजपूत मतदाता हैं। यही नहीं मैनपुरी में भी तीसरे चरण में मतदान होना और यहां से पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह चुनाव लड़ रहे है। पिछले लोकसभा चुनाव में मुलायम ने इस सीट से जीत हासिल की थी और उसके बाद इस सीट को छोड़ दिया था। क्योंकि मुलायम ने मैनपुरी से साथ ही आजमगढ़ सीट से चुनाव लड़ा था और दोनों में जीत हासिल की। लेकिन बाद में मैनपुरी को छोड़ दिया और इसके बाद पार्टी ने मुलायम के भतीजे तेज प्रताप यादव को उपचुनाव के लिए टिकट दिया और वह उपचुनाव जीतने में कामयाब रहे।
फिलहाल मैनपुरी लोकसभा सीट को सपा का मजबूत गढ़ माना जाता है और बीएसपी प्रमुख मायावती मुलायम सिंह के लिए यहां पर प्रचार भी कर चुकी हैं। यही नहीं मुलायम ने यहां पर इमोशनल कार्ड भी खेल दिया है। मुलायम ने कहा कि ये उनका आखिरी चुनाव है और जनता उन्हें जीता दे। यहां पर मुलायम के खिलाफ बीजेपी के प्रेम सिंह शाक्य सहित कुल 12 उम्मीदवार मैदान में हैं। हालांकि कांग्रेस ने यहां से किसी को नहीं उतारा है। लेकिन एसपी यहां पिछले आठ लोकसभा चुनाव से यहां लगातार जीत दर्ज कर रही है।