छोटा सा देश, मात्र चालीस लाख की आबादी, नाम क्रोएशिया। 2018 के फुटबॉल के महासमर में इस देश की टीम ने इतिहास रच दिया है। टीम विश्व कप के फाइनल में है।
रूस में चल रहा फ़ीफ़ा विश्व कप अपने निर्णायक दौर में है। आखिर दो योद्धा कौन होंगे जो ताज़ के लिए लड़ेंगे, ये भी साफ़ हो चुका हैं। क्रोएशिया ने इतिहास रचते हुए विश्व कप के फ़ाइनल में पहली बार जगह बनाई है। मुकाबला कहीं ज्यादा मज़बूत इंग्लिश टीम से था। इंग्लैंड की टीम बीस भी नज़र आ रही थी लेकिन शुरू में हार की तरफ जाती दिख रही क्रोएशिया की टीम आखिर में सिकंदर साबित हुई। पहले हाफ तक 1-0 से पिछड़ रही क्रोएशिया ने दूसरे हाफ में गोल मारकर बराबरी की। दोनों टीमों में कांटे का मुकाबला जारी रहा। खेल अतिरिक्त समय में गया और इन्ही पलों में क्रोएशिया के लिए स्टार खिलाड़ी मारियो मैंडजुकिच (109वें मिनट) ने शानदार गोल दागकर क्रोएशिया को 2-1 से बढ़त दिलाई। इसके बाद क्रोएशियाई टीम ने अपना डिफेंस मजबूत रखा और बाकी बचे समय को वैसे ही पास कराते रहे। मुकाबला 2-1 से अपने नाम करते हुए फीफा विश्व कप के फाइनल में अपनी जगह पक्की की।
एक्सट्रा टाइम के पहले हाफ में दोनों टीमों की तरफ से कोई गोल नहीं हो पाया और स्कोर फिर से 1-1 की बराबरी पर रहा। मगर एक्सट्रा टाइम के दूसरे हाफ में क्रोएशिया के
इंग्लैंड ने मैच शुरू होने के पांच मिनट बाद ही बढ़त ले ली थी. कीयरन ट्रिपियर ने शानदार फ्री किक को सीधे गोल पोस्ट में डाल दिया था वहीं इस हाफ में क्रोएशिया का आक्रमण कमाल नहीं दिखा सका। दूसरे हाफ में क्रोएशिया ने वापसी की। 68वें मिनट में क्रोएशिया की तरफ़ से इवान पेरिसिट्स ने साइम व्रासल्जको से मिले पास को गोल में बदल दिया।
आंकड़ों के आधार पर भी क्रोएशियाई टीम इंग्लैंड की टीम से बीस साबित हुई. मैच के दौरान 55 फीसदी समय तक गेंद का पजेशन क्रोएशियाई खिलाड़ियों के पास रहा। इस टीम ने गोल पोस्ट को निशाने पर लेकर सात शॉट लगाए, जबकि इंग्लिश टीम सिर्फ दो बार ऐसा कर सकी। क्रोएशिया को कुल आठ और इंग्लैंड की टीम को चार कॉर्नर मिले।
40 लाख की आबादी वाला देश क्रोएशिया पहली बार फीफा विश्व कप का फाइनल खेलेगा। वहीं 52 साल बाद फाइनल में पहुंचने का इंग्लैंड का सपना अधूरा रह गया।