भारत अब बदल गया है इस समय भारत में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार है। अगर ऐसी स्थिति में भारत में 26/11 जैसा कोई आतंकी हमला होता है तो मोदी सरकार चुप नहीं बैठेगी।
वाशिंगटन— अमेरिकी थिंक टैंक, पूर्व राजदूतों और अधिकारियों ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि भारत पर अगर 26/11 जैसा हमला होता है तो इस बार भारत चुप नहीं बैठने वाला है। अगर भारत पर 26/11 जैसा हमला दोबारा हुआ तो भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ सकता है। अमेरिकी विद्वानों ने यह बातें 2008 के मुंबई हमलों की दसवीं बरसी से पहले कही।
पाकिस्तान के आंतकी संगठन लश्कर ए तैयबा के 10 आतंकवादियों के उस हमले में अमेरिकी नागरिकों समेत करीब 166 लोग मारे गए थे। पुलिस ने नौ आतंकियों को मार गिराया था जबकि अजमल कसाब को गिरफ्तार कर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद फांसी पर लटका दिया गया था।
मुंबई हमले को दस साल होने के बावजूद पाकिस्तान में इसके किसी भी संदिग्ध को अभी तक सजा नहीं मिली है, जो दिखाता है कि यह मामला कभी उसकी प्राथमिकता में नहीं रहा।
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व अधिकारी ब्रूस रीडल ने पीटीआई-भाषा से कहा, "26/11 हमले के पीड़ितों को अब भी हमले के सरगनों और पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आईएसआई के खिलाफ न्याय देखना बाकी है, लेकिन पाकिस्तान में ये नामुमकिन सा लगता है।" रिडेल का मानना है कि इस तरह के किसी दूसरे हमले का नतीजा दोनों देशों के बीच युद्ध हो सकता है।
अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत और फिलहाल हडसन इंस्टिट्यूट में दक्षिण और मध्य एशिया के सीनियर फेलो और निदेशक हुसैन हक्कानी ने कहा कि अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्तों में कड़वाहट के चलते भारत में एक और आतंकी हमला होने पर हालात को कैसे काबू किया जाएगा, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। हक्कानी ने कहा कि पाकिस्तान को 26/11 हमलों के सरगनों के खिलाफ कार्रवाई का वादा निभाना चाहिए।
हमलों के समय नेशनल सिक्योरिटी ऑफ द व्हाइट हाउस में दक्षिण एशिया के निदेशक रहे अनीश गोयल ने कहा कि उस वक्त भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध के हालात हमारी प्राथमिक चिंताओं में से एक थी, जिसमें हम रोकना चाहते थे।
गोयल ने बताया कि उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर तुरंत कार्रवाई का काफी दबाव था। उस दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश, विदेश मंत्री कोंडालीजा राइस ने ऐसी किसी भी स्थिति से बचने के लिए कई प्रयास किए थे जिनमें भारत पाकिस्तान और अमेरिका के कई सहयोगियों को फोन कॉल करना भी शामिल है।
ओबामा प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर उस तरह का एक और हमला हुआ तो इलाके में युद्ध की संभावनाएं तेजी से बढ़ जाएंगी। अधिकारी ने कहा कि मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पाकिस्तान के खिलाफ सख्ती बरत रही है, जिसमें सर्जिकल स्ट्राइक किया जाना भी शामिल है।