मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सईद द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई के दौरान इस्लामाबाद हाईकोर्ट को सूचित किया गया कि राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश निष्प्रभावी हो गया है और उसकी अवधि को कभी नहीं बढ़ाया गया।
पाकिस्तान में सेना इमरान खान की सरकार पर किस कदर हावी है, इसका उदाहरण एक बार फिर देखने को मिला है। मुंबई हमले के साजिशकर्ता और दुनिया के मोस्ट वांटेड आतंकी हाफिज सईद के जमात-उद-दावा (जेयूडी) और फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) को पाकिस्तान में प्रतिबंधित संगठनों की सूची से बाहर कर दिया गया है।
मीडिया में आई एक खबर के मुताबिक, इन संगठनों को संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के तहत प्रतिबंधित करने वाला राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश निष्प्रभावी हो गया, जिसके बाद ये प्रतिबंधित संगठनों सूची से बाहर हो गए हैं। इस साल फरवरी में पूर्व राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने जमात-उद-दावा और एफआईएफ को प्रतिबंधित समूह घोषित करने के लिए आतंकवाद निरोधी अधिनियम, 1997 को संशोधित करते हुए अध्यादेश लागू किया था।
‘डॉन’अखबार के मुताबिक, सईद द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई के दौरान इस्लामाबाद हाईकोर्ट को सूचित किया गया कि राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश निष्प्रभावी हो गया है और उसकी अवधि को कभी नहीं बढ़ाया गया।
हाफिज सईद ने उस अध्यादेश को चुनौती दी थी जिसके तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की निगरानी सूची में शामिल करने के लिए उसके संगठनों को प्रतिबंधित किया गया। खबर में बताया गया कि सईद ने याचिका में तर्क दिया कि उसने 2002 में जमात उद दावा को स्थापित किया था और प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तय्यबा के साथ सारे संबंध खत्म कर लिए थे, लेकिन प्रतिबंधित संगठन के साथ पूर्व में उसके संबंध को लेकर भारत जेयूडी की लगातार निंदा करता रहता है। इसके अलावा, भारत पाकिस्तान पर निरंतर दबाव बना रहा है कि नवंबर 2008 के मुंबई हमलों के साजिशकर्ताओं को कानून के समक्ष लाया जाए। मुंबई हमलों का मुख्य साजिशकर्ता सईद लश्कर-ए-तय्यबा का सह-संस्थापक है।