नासा का अंतरिक्ष यान सोमवार को दो साल से खोजे जा रहे प्राचीन क्षुद्रग्रह बेनू पर पहुँच गया, अरबों सालों में इस ग्रह पर पहुँचने वाला यह पहला यान है।
केप कैनावेरल: नासा का अंतरिक्ष यान सोमवार को दो साल से खोजे जा रहे प्राचीन क्षुद्रग्रह बेनू पर पहुँच गया, अरबों सालों में इस ग्रह पर पहुँचने वाला यह पहला यान है।
रोबोट एक्सप्लोरर ओसीरिस-रेक्स इस हीरे जैसी आकार वाली अंतरिक्ष चट्टान के 19 किलोमीटर के भीतर तक जा चुका है। यह ग्रह अगले आने वाले दिनों मे यान को और भी करीब खींचेगा और 31 दिसंबर को यान बेनू की कक्षा में होगा। कोई अंतरिक्ष यान अभी तक इस तरह के एक छोटे से ब्रह्मांड की कक्षा में नहीं गया है।
किसी क्षुद्रग्रह के नमूनों को इकट्ठा कर धरती पर लौटने वाला यह अमेरिका का पहला प्रयास है, इसके पहले सिर्फ जापान ही ऐसा कुछ हासिल कर पाया है।
ओसिरिस-रेक्स के बेनू को खोज लिए जाने की पुष्टि के बाद इस अभियान से जुड़े उड़ान नियंत्रकों में खुशी की लहर है। यह नासा द्वारा मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यान भेजे जाने के ठीक एक हफ्ते बाद हुआ है।
एरिज़ोना विश्वविद्यालय के लीड वैज्ञानिक दांते लॉरेटा ने ट्वीट किया, "बहुत राहत, गर्व और रोमांच का अनुभव कर रहे हैं!"
जबकि बेनू से यान अभी कुछ 122 मिलियन किलोमीटर दूर है। एक शब्द को 7 मिनट लगते हैं अंतरिक्ष यान से उड़ान नियंत्रकों लिटिलटन, कोलोराडो में लॉकहीड मार्टिन तक आने में। इस कंपनी ने ही इस अंतरिक्ष यान का निर्माण किया है।
बेनू के लगभग 500 मीटर का होने का अनुमान लगाया जा रहा है। शोधकर्ता अगले सोमवार को वाशिंगटन में होने वाली एक वैज्ञानिक बैठक में और सटीक जानकारी दे पाएंगे।
एक एसयूवी के आकार का यह अंतरिक्ष यान क्षुद्रग्रह के साथ साए की तरह रहा है। इसके 2023 में पृथ्वी पर लौटने का लक्ष्य है और लौटकर आने के से पहले यह यान वहां से कुछ नमूनों को इकट्ठा करेगा।
वैज्ञानिक, कार्बन जैसे इस अंधेरे समृद्ध क्षुद्रग्रह बेनू के नमूनों का अध्ययन करने के लिए उत्सुक हैं, जिसमें 4.5 अरब साल पहले बने हमारे सौर मंडल के सबूत हो सकते है। इस प्रकार से इसे एक खगोलीय समय कैप्सूल भी कह सकते है।
इस बीच, एक जापानी अंतरिक्ष यान, जून के बाद से पृथ्वी के क्षुद्रग्रहों के नमूनों की जाँच कर रहा है। यह जापान का दूसरा क्षुद्रग्रह मिशन है। इस नवीनतम चट्टान को रायगु नाम दिया गया है और यह बेनू के आकार से दोगुना है।
रायगु के दिसंबर 2020 तक लौटने की उम्मीद है, लेकिन यह ओसिरिस-रेक्स की लौटने के लक्ष्य से पीछे है।
ओसिरिस-रेक्स का लक्ष्य ग्रह की धूल और बजरी के कम से कम 60 ग्राम, या 2 औंस इकट्ठा करना है। ये अंतरिक्ष यान जमीन पर नहीं उतरेगा, बल्कि 2020 में यह 3 मीटर यांत्रिक बांह का उपयोग करके क्षणों को छूने और कणों को इकट्ठा करेगा। 2021 में नमूनों को कंटेनर में डाल कर ये पृथ्वी की ओर बढ़ जाएगा।
संग्रहित सामानों को पैराशूटिंग के माध्यम से उताह में उतरा जायेगा- यह 1960 और 1970 दशक के बीच लौटे अपोलो अंतरिक्ष यान की यादों को दर्शायेगा। जब यात्री चंद्रमा की चट्टानों के नमूनों को लेकर आये थे।
नासा, धूमकेतु के धूल और सौर हवा कणों को पहले भी लेकर लौटा है, लेकिन क्षुद्रग्रह के नमूने कभी नहीं ला पाया। जापान 2010 में अपने पहले क्षुद्रग्रह मिशन से कुछ छोटे कणों को लाने में कामयाब रहा है जिसे हायबुसा नाम दिया गया था।
बेनू और रायगु दोनों ही संभावित रूप से खतरनाक क्षुद्रग्रह हैं। इसका मतलब है कि वे पृथ्वी को तबाह करने की काबिलियत रखते हैं। सबसे बुरी स्थिति तब हो सकती है जब आज से 150 साल बाद बेनू अपने आसपास एक क्रेटर तैयार करेगा।
लॉरेटा ने जोर देकर कहा कि बेनू के साथ संपर्क करने से उसकी कक्षा में महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आएगा या यह हमारे लिए खतरनाक नहीं होगा।
वैज्ञानिकों ने जानकारी दी की जितना अधिक वे क्षुद्रग्रहों के बारे में जान पाएंगे, उतने ही बेहतर तरीके से वे पृथ्वी को वास्तव में विनाशकारी परिणामों से बचा सकेंगे।
$800 मिलियन की लागत में बना ओसिरिस-रेक्स मिशन केप कैनावेरल, फ्लोरिडा से 2016 में लॉन्च के साथ शुरू हुआ था। इसके ओडोमीटर ने सोमवार को 2 अरब किलोमीटर दुरी अंकित की हैं।
अंतरिक्ष यान और क्षुद्रग्रह दोनों नाम मिस्र के पौराणिक कथाओं से आते हैं। ओसिरिस बाद के जीवन का देवता है, जबकि बेनू हेरोन और सृजन का प्रतिनिधित्व करता है।
ओसिरिस-रेक्स वास्तव में नासा द्वारा दिया गया संक्षिप्त नाम है जो; उत्पत्ति, वर्णक्रमीय व्याख्या, संसाधन पहचान, सुरक्षा-रेगोलिथ एक्सप्लोरर से मिल कर बना है।