पाकिस्तान की तमाम कोशिशें के बावजूद ओआईसी ने रद्द नहीं किया भारत को दिया न्योता, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि दुनिया आज आतंकवाद की समस्या से जूझ रही है। आतंकी संगठनों की होने वाली फंडिंग पर रोक लगनी चाहिए।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अबू धाबी में मुस्लिम देशों के इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की बैठक में आतंकवाद का मुद्दा उठाया। सुषमा ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ नहीं है। ऋग्वेद का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भगवान एक है और सभी धर्मों का मतलब शांति है। ओआईसी की बैठक में भारत को बतौर विशिष्ट अतिथि न्योता भेजा गया था। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सुषमा को बुलाए जाने के विरोध में इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया।
ओआईसी के फोरम पर सुषमा ने कहा कि दुनिया आज आतंकवाद की समस्या से जूझ रही है। आतंकी संगठनों की होने वाली फंडिंग पर रोक लगनी चाहिए। सुषमा ने किसी देश का नाम बगैर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत इससे लंबे समय से जूझ रहा है। आतंकवाद का दंश और दायरा बढ़ रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि आज आतंकवाद और उग्रवाद एक नए स्तर पर पहुंच गया है। आतंकवाद को संरक्षण और पनाह देने पर रोक लगनी चाहिए। आतंकी संगठनों को होने वाली फंडिंग रुकनी चाहिए।
EAM Sushma Swaraj at OIC conclave: If we want to save humanity,we must tell the states who provide shelter & funding to terrorists, to dismantle the infrastructure of the terrorist camps and stop providing shelter & funding to the terror organisations based in that country pic.twitter.com/Ojmu85UtK5
— ANI (@ANI)उन्होंने कहा, 'आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी मजहब के खिलाफ टकराव नहीं है।' धर्म को शांति का पर्याय बताते हुए उन्होंने कहा, 'जिस तरह इस्लाम का मतलब शांति है, अल्लाह के 99 नामों में से किसी भी नाम का अर्थ हिंसा नहीं है, उसी तरह हर धर्म शांति के लिए हैं।' भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का जिक्र करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत में हर धर्म और संस्कृति का सम्मान है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि भारत के बहुत कम मुस्लिम जहरीले दुष्प्रचार से प्रभावित हुए।
इससे पहले, पाकिस्तान की तमाम कोशिशों के बाद भी ओआईसी ने भारत को भेजा न्योता रद्द नहीं किया। यह भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत है। पाकिस्तान ने ओआईसी से भारत को दिए न्योते को रद्द करने की मांग की थी।