भारत में गाय और गोबर की बात करने वालों का पुरातनपंथी कहकर मजाक उड़ाया जाता है। लेकिन पाकिस्तान में भारत की तरह गाय और गोबर पर प्रयोग हो रहा है। वहां के प्रमुख शहर कराची में 200 बसों को गोबर गैस से चलाने का फैसला किया गया है।
पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में शून्य कार्बन उत्सर्जन वाली 200 ग्रीन बसें चलाने की योजना बनाई जा रही हैं। इसके लिए इंटरनेशनल ग्रीन क्लाइमेट फंड की मदद ली जाएगी। यह परियोजना चार साल में पूरी होगी। ये बसें बस रैपिड ट्रांजिट (बीआरटी) कॉरिडोर में चलाई जाएंगी।
पाकिस्तान के कराची शहर में चार लाख गाय और भैंस जैसे दुधारु पशु हैं। वहां के प्रशासन ने अब इनके गोबर से गैस बनाकर उसका ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने का फैसला किया है। स्थानीय प्रशासन दुधारु पशुओं का गोबर जमा करेगा जिसके बाद इससे बायो मीथेन बनाई जाएगी और बसों को सप्लाई की जाएगी।
अधिकारियों के मुताबिक इस योजना से हर दिन 3,200 टन गोबर और पशु मूत्र समुद्र में जाने से बचेगा। जिससे समुद्र की भी सफाई होगी। कराची शहर में फिलहाल गोबर साफ करने के लिए हर दिन 50 हजार गैलन पानी खर्च होता है।
अगर यह प्रयोग सफल रहा तो इसे लाहौर, मुल्तान, पेशावर और फैसलाबाद जैसे शहरों में लागू किया जा सकता है।
पाकिस्तान के ज्यादातर शहरों की हालत प्रदूषण से खराब है।
अच्छे सार्वजनिक परिवहन के अभाव में लोग अपने निजी वाहन खूब इस्तेमाल करते हैं। इसकी वजह से कार्बन उत्सर्जन ज्यादा होता है और बीमारियां बढ़ती हैं।