विक्रमसिंघे के सरकारी आवास के बाहर उनके हजारों समर्थक जुटे। राजधानी कोलंबो में सभी पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। राष्ट्रपति आवास के बाहर भी सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई है।
श्रीलंका में सियासी संकट गहरा गया है। अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सरकारी आवास छोड़ने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि सबसे बड़ा दल होने के नाते वह संवैधानिक तौर पर अब भी देश के प्रधानमंत्री हैं। इस बीच, उनके हजारों समर्थक सरकारी आवास 'टेंपल ट्री' के बाहर जुट गए हैं। हालांकि वहां बड़े पैमाने पर सैन्यकर्मियों का जमावड़ा भी है। फिलहाल, किसी संघर्ष के आसार नहीं हैं। राजधानी कोलंबो में सभी पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। राष्ट्रपति आवास के बाहर भी सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई है।
इससे पहले राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने शनिवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की सुरक्षा वापस ले ली। उन्होंने संसद को 16 नवंबर तक निलंबित कर दिया हैं, क्योंकि विक्रमसिंघे ने बहुमत साबित करने के लिए आपात सत्र बुलाने की मांग की थी। माना जा रहा है कि संसद की कार्यवाही टालने वाला सिरिसेना का कदम नवनियुक्त प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को राहत देने के मकसद से उठाया गया है और इससे राजपक्षे को संसद में बहुमत साबित करने के लिए समय मिल गया है।
साल 2019 के वार्षिक बजट पर चर्चा के लिए संसद का सत्र 5 नवम्बर को आहूत किया गया था। संसद में राजपक्षे और सिरिसेना के पास कुल 95 सीटें हैं। इस तरह, 225 सदस्यों वाले सदन में साधारण बहुमत के आंकड़े से वे कुछ पीछे हैं। बर्खास्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसंघे की पार्टी यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के पास 106 सीटें हैं और बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल करने के लिए उन्हें सिर्फ सात सीटें कम पड़ रही हैं। यूएनपी ने दावा किया है कि राष्ट्रपति ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि 72 वर्षीय राजपक्षे के पास सदन में बहुमत नहीं है।
राष्ट्रपति ने विक्रमसिंघे की निजी सुरक्षा और वाहनों को उनके 72 वर्षीय उत्तराधिकारी महिंदा राजपक्षे को सौंपने के लिए वापस लिया, जिन्होंने शुक्रवार को नाटकीय अंदाज में राजनीतिक वापसी की है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, रानिल विक्रमसिंघे को सरकारी आवास खाली करने के लिए पहले ही नोटिस भेजा गया था लेकिन उन्होंने अंतिम समयसीमा को नजरअंदाज कर दिया। श्रीलंका के कुछ बड़े अधिकारियों का कहना है कि सरकारी आवास खाली कराने के लिए वे कोर्ट से ऑर्डर लेकर आएंगे।
सिरीसेना ने शुक्रवार को एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर उनकी जगह पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था।
2015 में विक्रमसिंघे के समर्थन से सिरिसेना राष्ट्रपति बने थे। इससे पहले करीब एक दशक तक राजपक्षे की सरकार थी। उनकी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे सिरिसेना ने उनसे अलग होकर राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था।
इस बीच, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह श्रीलंका में हुए राजनीतिक उथल-पुथल पर नजर बनाए हुए है। एक लोकतंत्र और पड़ोसी दोस्त के रूप में हम उम्मीद करते हैं कि श्रीलंका में लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रक्रिया का सम्मान किया जाएगा।