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जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों में छिपा ये अनोखा खजाना! जिससे भारत बनेगा EV प्रोडक्शन का सुपरपावर?

जम्मू-कश्मीर में मिले 6 मिलियन टन लिथियम भंडार से भारत EV बैटरी निर्माण में आत्मनिर्भर बन सकता है, लेकिन अपर्याप्त अन्वेषण डेटा प्रगति में बाधा बना हुआ है। जानिए पूरी जानकारी।

Surya Prakash Tripathi | Published : Mar 27 2025, 10:10 AM
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Lithium Reserve India: भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) बाजार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन बैटरियों के लिए आवश्यक लिथियम की कमी इस क्रांति को धीमा कर रही है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में 6 मिलियन टन लिथियम भंडार मिलने की खबर ने सभी की उम्मीदें बढ़ा दी थीं। यह खोज भारत को EV बैटरी निर्माण में आत्मनिर्भर बना सकती है, जिससे देश की आयात पर निर्भरता कम होगी। लेकिन, इस खजाने को निकालने में एक बड़ी समस्या सामने आ रही है।

 

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जम्मू-कश्मीर का लिथियम भंडार: EV क्रांति का टर्निंग पॉइंट?

जम्मू-कश्मीर का लिथियम भंडार: EV क्रांति का टर्निंग पॉइंट?

भारत वर्तमान में लिथियम का आयात करने पर हर साल अरबों डॉलर खर्च करता है, जिसमें से अधिकांश चीन और हांगकांग से आता है। अगर यह नया भंडार सही से उपयोग में लाया जाए, तो भारत अपनी EV बैटरी उत्पादन क्षमता को वैश्विक स्तर पर ले जा सकता है। लेकिन, समस्या यह है कि भारत सरकार द्वारा आयोजित लिथियम नीलामी असफल रही।

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नीलामी विफल क्यों हुई?

नीलामी विफल क्यों हुई?

29 नवंबर 2023 को भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर लिथियम भंडार की नीलामी की घोषणा की, लेकिन आवश्यक तीन बोलीदाताओं की जगह केवल दो ही आए। इसके बाद सरकार ने नियमों में बदलाव कर एक ही बोली पर सौदा करने का विकल्प दिया, लेकिन फिर भी कोई खरीदार आगे नहीं आया।

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इसकी मुख्य वजहें क्या हैं?

इसकी मुख्य वजहें क्या हैं?

अन्वेषण डेटा की कमी: कंपनियों को यह नहीं पता कि कितना लिथियम वास्तव में निकाला जा सकता है।
 निवेश जोखिम अधिक: बिना पुख्ता डेटा के कोई भी कंपनी इतना बड़ा निवेश नहीं करना चाहती।
 सरकार की स्पष्ट नीतियों का अभाव: कंपनियों को कर और पर्यावरणीय प्रभावों से जुड़ी नीतियों को लेकर संशय है।

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भारत सरकार की अगली योजना क्या है?

भारत सरकार की अगली योजना क्या है?

सरकार अब अगले छह महीनों में अन्वेषण स्तर को G3 से G2 पर ले जाने की योजना बना रही है, ताकि कंपनियों को बेहतर डेटा मिल सके। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रक्रिया को पूरा होने में कम से कम दो साल लग सकते हैं।

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क्या भारत लिथियम दौड़ में पिछड़ सकता है?

क्या भारत लिथियम दौड़ में पिछड़ सकता है?

वैश्विक स्तर पर
1. चिली, ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना दुनिया के सबसे बड़े लिथियम उत्पादक देश हैं।
2. चीन पहले से ही बैटरी निर्माण और लिथियम प्रसंस्करण में अग्रणी है।
3. अगर भारत जल्द से जल्द अपने लिथियम संसाधनों का उपयोग नहीं करता, तो वह इस वैश्विक दौड़ में पीछे रह सकता है।

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भारत के EV उद्योग के लिए यह कितना अहम है?

भारत के EV उद्योग के लिए यह कितना अहम है?

1. EV की मांग में बढ़ोतरी: भारत में 2030 तक 30% नई गाड़ियां EV होने की संभावना है।
2. बैटरी उत्पादन में आत्मनिर्भरता: घरेलू लिथियम भंडार मेक इन इंडिया पहल को मजबूती देगा।
3. आयात खर्च में कटौती: 2023-24 में भारत ने $2.9 बिलियन का लिथियम आयात किया, जो घरेलू उत्पादन से बचाया जा सकता है।

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क्या लिथियम की खुदाई में देरी भारत के लिए खतरा है?

क्या लिथियम की खुदाई में देरी भारत के लिए खतरा है?

यदि सरकार जल्द निर्णय नहीं लेती, तो भारत को फिर से विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर रहना पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को स्पष्ट नीतियां बनानी चाहिए, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़े।

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क्या भारत इस मौके को भुना पाएगा?

क्या भारत इस मौके को भुना पाएगा?

जम्मू-कश्मीर का लिथियम भंडार भारत के EV उद्योग के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। लेकिन, नीलामी की विफलता और अपर्याप्त अन्वेषण डेटा सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। अगर सरकार नीतिगत सुधारों और अन्वेषण कार्यों में तेजी नहीं लाती, तो भारत की EV क्रांति को झटका लग सकता है और यह मौका हाथ से निकल सकता है।

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Surya Prakash Tripathi
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Surya Prakash Tripathi
भारत का गौरव
 
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