ITR फाइलिंग 2024: 31 जुलाई की डेडलाइन से पहले जानें ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम का चयन कैसे करें
First Published Jul 19, 2024, 10:28 AM IST
ITR फाइलिंग 2024 शुरू हो गई है। 31 जुलाई की डेडलाइन से पहले इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करें। ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम के बीच निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी।
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ITR filing 2024: अब समय आ गया है कि आप सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करें। इनकम रिटर्न 2024 के लिए फाइलिंग का मौसम शुरू हो गया है, और जुर्माने से बचने के लिए 31 जुलाई की टाइम लिमिट को पूरा करना महत्वपूर्ण है। यदि आप टैक्स रिजीम बदलने पर विचार कर रहे हैं, तो वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए अपना ITR दाखिल करना आवश्यक निर्णय लेना है। सरकार ने संरचना को सरल बनाने और टैक्स के बोझ को कम करने के लिए एक नई टैक्स व्यवस्था शुरू की, लेकिन इस पर टैक्स पेयर्स की मिली-जुली रिएक्शन आया है।
कौन, कब अपनाता है न्यू या ओल्ड टैक्स रिजीम?
इनकम, डिडक्शन, छूट और लाॅग टर्म फाईनेसियल स्कीमों के आधार पर ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम्स के बीच सेलेक्ट करना कांप्लेक्स हो सकता है। बिना इन्वेस्ट वाले व्यक्ति नई टैक्स रिजीम को प्राईयार्टी देते हैं, जबकि फाईनेंसियल गोल और इन्वेस्ट करने वाले लोग अक्सर ओल्ड रिजीम को ही अपनाते हैं। निर्णय लेने से पहले आपको इम्प्लीकेशन, विकल्पों और स्टेप के बारे में डिटेल्ड इंफार्मेशन दी गई है।
1. डिफ़ॉल्ट रूप से टैक्स रिजीम
जब आप अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते हैं, तो डिफ़ॉल्ट ऑप्शन न्यू टैक्स रिजीम होती है, लेकिन आप दाखिल करने के प्रॉसेस के दौरान ओल्ड टैक्स रिजीम में स्विच कर सकते हैं। वी सहाय त्रिपाठी एंड कंपनी, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की पार्टनर गरिमा त्रिपाठी के अनुसार सेलरीड पर्सन साल में एक बार अपने टैक्स रिजीम बदल सकते हैं, खास तौर पर अपना रिटर्न दाखिल करते समय।
2. F&O से इनकम वाले लोग
गरिमा त्रिपाठी ने बताया कि जो लोग बिजिनेस या अन्य पेशे से इनकम अर्जित करते हैं, जैसे कि ट्रेडिंग ऑप्शन या फ्यूचर्स, वे एक बार ओल्ड टैक्स रिजीम से बाहर निकल सकते हैं, लेकिन फिर से उसमें वापस नहीं आ सकते। इसलिए कोई भी रिजीम चुनते समय पहले एक्सपर्ट की राय जरूर ले लेनी चाहिए।
3. न्यू बनाम ओल्ड टैक्स रिजीम
ओल्ड टैक्स रिजीम में HRA, LTA और चैप्टर VI-A जैसी छूट शामिल हैं, जबकि न्यू रिजीम कम टैक्स रेट प्रदान करती है, लेकिन अधिकांश छूट और कटौती को समाप्त कर देती है। इस स्थिति में व्यक्तियों के लिए अपने इन्वेस्ट और पात्र डिडेक्शन पर विचार करके अपनी टैक्स लायबिलीटी की कैलकुलेशन करना उचित है। एन.ए. शाह एसोसिएट्स के डायरेक्ट टैक्स के एसोसिएट पार्टनर मिलिन बखाई ने बताया कि टैक्स पेयर्स ऑनलाइन कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं या दोनों व्यवस्थाओं के तहत पेबल अपने टैक्स का असिस्मेंट करने के लिए किसी कर प्रोफेशनल से सलाह ले सकते हैं।
4. फॉर्म 10 IEA दाखिल करना
नई कर व्यवस्था को बजट 2023 में डिफ़ॉल्ट ऑप्शन के रूप में पेश किया गया था। व्यवसाय और पेशे से इनकम वाले टैक्सपेयर्स जो ओल्ड टैक्स रिजीम चुनते हैं, उन्हें अपने इनकम टैक्स रिटर्न के साथ फॉर्म 10 IEA दाखिल करना होगा। एन.ए. शाह एसोसिएट्स के डायरेक्ट टैक्स के एसोसिएट पार्टनर मिलिन बखाई के अनुसार बिजिनेश और पेशे से इनकम के बिना टैक्स पेयर्स के लिए अपने इनकम टैक्स रिटर्न में ओल्ड रिजीम को चुनना अनिवार्य है।
5. टैक्स-फ्री इनकम लेवल
ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत टैक्स स्लैब और छूट के कारण ₹5 लाख तक की इनकम को टैक्सटेंसन से छूट दी गई थी। न्यू टैक्स रिजीम में यह लिमिट बढ़ाकर ₹7 लाख कर दी गई है। दोनों रिजीम में अपनी अलग-अलग व्यवस्थाएं हैं। कोन सा रिजीम चुनना टैक्सपेयर्स के लिए बेहतर ऑप्शन हो सकता है। यह टैक्स पेयर्स को अपनी इनकम, टैक्स बेनीफिट, छूट को ध्यान में रखना चाहिए।
6. सरचार्ज में कमी
गरिमा त्रिपाठी ने बताया कि न्यू रिजीम के तहत 5 करोड़ रुपये से अधिक की इनकम पर 37% सरचार्ज को घटाकर 25% कर दिया गया है।
अस्वीकरण: ऊपर व्यक्त किए गए विचार और सिफारिशें व्यक्तिगत विश्लेषकों के हैं, हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से जांच कर लें।