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सावन 2024: इस बार कितने होंगे श्रावण मास में सोमवार, महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, यहां जानें

"सावन 2024: जानें श्रावण मास की शुरुआत और समाप्ति डेट, इतिहास, महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा पाने के लिए इन 5 सोमवार को कैसे करें पूजा।"

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Surya Prakash Tripathi
Published : Jul 22 2024, 10:13 AM IST
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श्रावण माह का क्या और क्यो हैं महत्व?

श्रावण माह का क्या और क्यो हैं महत्व?

सावन या श्रावण मास आज यानि 22 जुलाई 2024 से शुरू हो रहा है। श्रावण मास को भारत में मानसून की शुरुआत के रूप में भी जाना जाता है। हिंदुओं के लिए ये महीना भगवान भोले नाथ और मां पावर्ती की पूजा-अर्चना एवं रुद्राभिषेक के लिए विशेष माना जाता है। भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए लोग सावन माह के 5 सोमवार का व्रत रखते हैं। भगवान शिव को पंचामृत, गुड़, भूना चना, बेल पत्र, धतूरा, दूध, चावल और चंदन सहित अन्य चीजें चढ़ाई जाती हैं। सावन 2024 की शुरुआत और समाप्ति डेट, इतिहास, महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि यहां जान सकते हैं।

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सावन 2024 की शुरुआत और समाप्ति डेट

सावन 2024 की शुरुआत और समाप्ति डेट

द्रिक पंचांग के अनुसार सावन मास इस साल 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त तक अगस्त तक चलेगा। मतलब 29 दिनों के श्रावण मास में 5 सोमवार होंगे। जिनमें शिवभक्त व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की आराधना करेंगे। 

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श्रावण मास का कैलेंडर

श्रावण मास का कैलेंडर

22 जुलाई, 2024 - सावन शुरू (पहला श्रावण सोमवार व्रत)
29 जुलाई, 2024 - दूसरा श्रावण सोमवार व्रत
5 अगस्त, 2024 - तीसरा श्रावण सोमवार व्रत
12 अगस्त, 2024 - चौथा श्रावण सोमवार व्रत
19 अगस्त, 2024 - सावन समाप्त (अंतिम या पांचवां श्रावण सोमवार व्रत)। )

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इन राज्याें में 5 अगस्त से शुरू होगा श्रावण मास

इन राज्याें में 5 अगस्त से शुरू होगा श्रावण मास

आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु सहित अन्य राज्यों में श्रावण मास 5 अगस्त से शुरू होगा और 3 सितंबर को समाप्त होगा।

 

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सावन 2024 में शुभ मुहूर्त कब-कब हैं?

सावन 2024 में शुभ मुहूर्त कब-कब हैं?

द्रिक पंचांग के अनुसार सावन पूर्णिमा सोमवार, 19 अगस्त को है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:04 बजे से 12:55 बजे तक है। 22 जुलाई को श्रवण नक्षत्र है और 22 जुलाई को रात 10:21 बजे श्रवण नक्षत्र है। इस बीच प्रतिपदा तिथि दोपहर 1:11 बजे तक रहेगी।

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सावन 2024 का इतिहास और महत्व

सावन 2024 का इतिहास और महत्व

भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन मास का इतिहास समुद्र मंथन से जुड़ा है, जब देवता और असुर अमृत की तलाश में एक साथ आए थे। समुद्र मंथन से आभूषण, पशु, देवी लक्ष्मी और धन्वंतरि सहित कई चीजें निकलीं। हालांकि, जब हलाहल नामक घातक विष निकला, तो अराजकता फैल गई। जो कोई भी इसके संपर्क में आया, वह नष्ट होने लगा।

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भगवान शिव ने किसके कहने पर किया था विषपान?

भगवान शिव ने किसके कहने पर किया था विषपान?

ब्रह्मा-विष्णु ने भगवान शिव से मदद मांगी। उन्होंने भगवान शिव से विनती की, जो इस शक्तिशाली विष को सहन कर सकते थे, कि वे इसे पी लें। जब भोलेनाथ ने विष पिया, तो उनका शरीर नीला हो गया। भगवान के पूरे शरीर में विष फैलने से चिंतित देवी पार्वती ने उनके गले में प्रवेश किया और विष को और फैलने से रोक दिया। इस प्रकार भगवान शिव को नीलकंठ के नाम से जाना जाने लगा।

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भगवान शिव के विषपीने की घटना से कैसे जुड़ा है सावन मास?

भगवान शिव के विषपीने की घटना से कैसे जुड़ा है सावन मास?

ये घटनाएं सावन के महीने में हुई थीं। इसलिए इस पूरे महीने सोमवार को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। हिंदू सावन महीने को शुभ मानते हैं क्योंकि इस दौरान कई महत्वपूर्ण त्यौहार मनाए जाते हैं। द्रिक पंचांग के अनुसार, कामिका एकादशी, मंगला गौरी व्रत, हरियाली तीज, नाग पंचमी, रक्षा बंधन, नारली पूर्णिमा, कल्कि जयंती जैसे त्यौहार और व्रत इसी महीने मनाए जाते हैं। भगवान शिव के कुछ भक्त कांवड़ यात्रा पर जाते हैं।

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सावन 2024 की पूजा विधि और सामग्री

सावन 2024 की पूजा विधि और सामग्री

सावन पूर्णिमा के दौरान भक्तों को भगवान शिव, मां पार्वती, चंद्र देव, श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। कोई भी अपने घर पर सत्य नारायण की पूजा कर सकता है। इस दिन जल्दी उठकर स्नान करें और बेलपत्र, धूप, दीप, शुद्ध जल, फूल, मिठाई, फल और अन्य पूजा सामग्री इकट्ठा करें।

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कब करनी चाहिए शिव-पार्वती की पूजा?

कब करनी चाहिए शिव-पार्वती की पूजा?

इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें और उन्हें बेलपत्र, फूल और फल चढ़ाएं। इसके अलावा धूपबत्ती और दीया जलाएं। इसके बाद देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें और फूल, कौड़ी और पीले फल चढ़ाएं। सावन पूर्णिमा पर रात में चंद्रोदय के बाद चंद्र देव को अर्घ्य देकर और मंत्रों का जाप करके पूजा करें।

 

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