हेल्थ डेस्क: एक बार फिर से चांदीपुरा वायरस का आतंक डरा रहा है। राजस्थान में चांदीपुरा वायरस संक्रमण के कारण 2 साल की बच्चों की मौत हो गई।अंतिम संस्कार के दौरान प्रशासन द्वारा दी जारी की गई गाइडलाइन को फॉलो किया गया। जानते हैं आखिर कितनी खतरनाक होता है चांदीपुरा वायरस। 

बच्चों के लिए खतरनाक है चांदीपुरा वायरस

जानलेवा चांदीपुरा वायरस से साल 2024 में कम से कम अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है। इन सभी में बच्चे और किशोर शामिल है। चांदीपुरा वायरस सीधा मस्तिष्क में अटैक करता है। इस कारण से दिमाग में सूजन पैदा होती है। चांदीपुरा वाइरस को फैलाने का काम मच्छर और मक्खी करते हैं। 

24 घंटे में एन्सेफलाइटिस बन जाता है जानलेवा

संक्रमित मच्छर या फिर मक्खी के काटने से खून के माध्यम से चंदीपुर वायरस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तक पहुंचता है। जो भी मच्छर या मक्खी व्यक्ति को काट रहा है उसके शरीर में पहले से ही चांदी पुरा वायरस मौजूद होता है। मनुष्य के शरीर में चांदीपुरा वायरस प्रवेश कर मस्तिष्क में पहुंच कुछ घंटों में ही अपना असर दिखाने लगता है। संक्रमण के बाद में शरीर में फॉस्फोप्रोटीन नामक प्रोटीन बनने लगती है।वायरस के संक्रमण से सामान्य फ्लू जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं। जानलेवा वायरस से व्यक्ति की मौत 24 घंटे में ही हो जाती है। 

नहीं है एंटीवायरल दवा और टीका

बेहद दुख की बात है कि अब तक चांदीपुरा वायरस के लिए ना तो कोई टीका उपलब्ध है और ना ही कोई एंटीबैक्टीरियल दवा। अगर किसी भी बच्चे को वायरस का संक्रमण हो जाता है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डॉक्टर खराब स्थिति को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं।

जगह के नाम से पड़ा चांदीपुरा नाम

चांदीपुरा वायरस सबसे पहले 1991 और 1992 के बीच पश्चिमी अफ्रीका में पाया गया था। ऐसा माना जाता है कि तापमान की वृद्धि के कारण चांदीपुरा वायरस का जन्म भारत में हुआ। भारत में चांदीपुरा में पहली बार ये वायस पाया गया था। 

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