हेल्थ डेस्क: ब्रिटेन के कार्डिफ़ विश्वविद्यालय की ओर से की गईं न्यू स्टडी में चौंकाने वाली बात सामने आई है। रिसर्च के दौरान बताया गया है कि डायबिटीज से पीड़ित मां की अपेक्षा डायबिटिक पिता से बच्चों को बीमारी का अधिक खतरा रहता है। प्रमुख शोधकर्ता डॉ. लोरी एलन ने इस बारे में जानकारी दी कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुष डायबिटीज की बीमारी को दोगुना तेजी से फैलाते हैं। 

गर्भ में पल रहे शिशु को डायबिटीज का खतरा

डायबेटोलोजिया मैग्जीन में प्रकाशित स्टडी में इस बात की जानकारी दी गई कि गर्भ में पल रहे शिशु को टाइप 1 डायबिटीज का खतरा मां से अधिक पिता से होता है। वहीं मां के डायबिटीज पीड़ित होने पर बच्चों में शुगर की संभावना  थोड़ी कम हो जाती है। 

जिन परिवार के सदस्यों को टाइप 1 डायबिटीज होती है, उनकी आने वाली संतानों में 8 से 15% डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। स्टडी में यह बात भी सामने आई है की माता के बजाय पिता डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाने का काम करते हैं। करीब 11,475 लोगों को एक स्टडी के दौरान शामिल किया गया। स्टडी में शामिल लोगों की उम्र 0 साल से लगाकर 88 वर्ष के बीच में थी। स्टडी में ये बात सामने आई कि जो बच्चें डायबिटिक मां के गर्भ में पल रहे थे उनमें डायबिटीज की संभावना से कहीं ज्यादा सुरक्षा शामिल थीं। वहीं पिता के डायबिटिक होने पर बीमारी की संभावना 1.8 गुना बढ़ गई।

क्या होता है टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes)?

टाइप 1 डायबिटीज एक क्रॉनिक डिजीज है जो जीवन भर रहती है। डायबिटीज के कारण लिवर में इंसुलिन नहीं बन पाता है। बच्चों में होने वाली इस बीमारी को इंसुलिन इंजेक्शन की मदद से कंट्रोल किया जाता है। साथ ही रोजाना शुगर की निगरानी भी करनी पड़ती है। 4 से 6 साल की उम्र के बच्चों में इस बीमारी का निदान हो जाता है। 

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