हेल्थ डेस्क। महाराष्ट्र के बाद अब गुजरात में चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) की दहशत है। जहां गुजरात के साबरकांठा-अरवल्ली में 4 बच्चों की मौत का दावा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कहा जा रहा है चांदीपुर वायरस ही बच्चों की मौत का कारण है, जबकि इससे संक्रमित 4 बच्चों का इलाज जारी है। फिलहाल के लिए साबरकांठा मुख्य जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने बच्चों का ब्लड टेस्ट सैंपल पुण के National Institute of Virology भेजे गए हैं। ऐसे में जानते हैं क चांदीपुरा वायरस क्या है और ये कैसे बच्चों को प्रभावित करता है। 

1) क्या है चांदीपुरा वायरस ? (What is Chandipura Virus)

चांदीपुरा वायरस के बारे में ज्यादा लोग अनिभिज्ञ हैं। ये Rhabdoviridae फैमिली और Vesiculovirus जीन्स से संबधित है। ये वायरस पहली बार बार भारत के महाराष्ट्र स्थित चांदीपुरा गांव में पहली बार 1965 में पाया गया था,जिसके बाद इसका नाम चांदीपुरा वायरस रखा गया। वहीं कभी-कभी देश के विभिन्न हिस्सों के साथ-एशिया-अफ्रीका के देशों में इस वायरस से जुड़े केस देखने को मिले हैं। 

2) चांदीपुरा वायरस कैसे करता हैं संक्रमित (How does Chandipura virus infect) 

चांदीपुरा वायरस अक्सर बच्चों में पाया जाता है। ये 14 साल से छोटी उम्र के बच्चों को शिकार बनाता है। ये मच्छर और मख्खियों से जल्दी फैलता है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस वायरस को फैलाने में सबसे बड़ा हाथ सेंड फ्लाई नामक मख्खियों की प्रजाति का होता है जो कीचड़ में पनपती हैं और बड़ी संख्या में इस वायरस को फैलाती हैं। बारिश के मौसम में ये खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। 

3) चांदीपुरा वायरस के लक्षण (Symptoms of Chandipura Virus) 

चांदीपुरा वायरस बेहत खतरनाक होता है,जो बच्चों के दिमाग पर अटैक करता है। इस वायरस के लक्षण शुरू में फ्लू यानी सर्दी, जुकाम,खांसी जैसे होते हैं लेकिन बाद में ये गंभीर हो जाता है,जिस कारण दिमाग में सूजन हो जाती है और बच्चा सीधा कोमा में चला जाता है। यहीं कारण है कि इस वायरस से मृत्यूदर की संभावना ज्यादा रहती है। 

4) कैसे करें चांदीपुर वायरस से बचाव (How to protect yourself from Chandipur virus) 

आधिकारिक तौर पर चांदीपुरा वायरस के बचने के कोई उपाय नहीं हालांकि कुछ चीजों की मदद से इस वायरस से बचने की कोशिश की जा सकती है जैसे सेंड फ्लाई नामक मख्खियों को खत्म करने के लिए कीटनाशक का छिड़काव,सोते वक्त मच्छरदानी का उपयोग और फुल कपड़े पहनना। 

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