इसरो चीफ एस सोमनाथ के कैंसर से पीड़ित होने की बात सामने आई है। स्टमक कैंसर की बीमारी जेनेटिक या फिर खराब जीवनशैली से संबंधित हो सकती है।
लाइफ़स्टाइल। इसरो चीफ एस सोमनाथ कैंसर की समस्या से पीड़ित हैं। उनको इस बात का पता तब चला जब Aditya L1 लॉन्च हुआ था। उसके बाद एम सोमनाथ ने सूर्य मिशन आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग भी की। कैंसर की बीमारी पता चलने के बाद अगर ध्यान ना दिया जाए तो ये शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगती है। आइए जानते हैं कि आखिर स्टमक कैंसर क्या होता है।
स्टमक कैंस या पेट का कैंसर
स्टमक कैंसर में कैंसर की कोशिकाएं पेट के विभिन्न हिस्सों में बनने लगती हैं। कैंसर कोशिकाओं की ग्रोथ गैस्ट्रोइसोफेगल जंक्शन यानी उस स्थान में हो सकती हैं जहां स्टमक और ईसोफेगस मिलता है। स्टमक कैंसर पेट के किसी भी हिस्से से शुरू हो सकता है। करीब 95% स्टमक कैंसर सटमक लाइनिंग से शुरू होकर धीरे-धीरे बढ़ता है।
स्टमक कैंसर के लक्षण
पेट के कैंसर या स्टमक कैंसर के शुरुआती लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं। शुरुआती लक्षणों में वजन कम होना या फिर पेट में हल्का दर्द महसूस हो सकता है। जब कैंसर एडवांस स्टेज में पहुंच जाता है तो निम्न लक्षण दिख सकते हैं।
- भूख कम लगना
- थकान का एहसास
- कमजोरी महसूस होना
- उल्टी आना
- सीने में जलन
- खाना पचने में समस्या
- पेट में अक्सर दर्द की समस्या
- थोड़ा खाने पर पेट भरने का एहसास
म्यूटेशन के कारण होता है स्टमक कैंसर
जब स्टमक सेल्स में DNA का जेनेटिक म्यूटेशन होता है तो कोशिकाएं बढ़ना शुरू कर देती हैं। DNA एक प्रकार का कोड होता है जो कोशिकाओं को बताता है कि कब बढ़ना या फिर मरना है। DNA में अचानक से म्यूटेशन या बदलाव क्यों होता है,इस बारे में पता लगाना रिसर्चस के लिए मुश्किल है। फैमिली हिस्ट्री या फिर डाइट, अधिक एल्कोहल का सेवन, मोटापा, मैटल या कोल से सीधा एक्पोजर आदि इस बीमारी का कारण हो सकती है। बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत जांच करानी चाहिए। शुरुआती जांच में अगर स्टमक कैंसर का पता चल जाता है तो ट्रीटमेंट की मदद से ठीक किया जा सकता है।
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Last Updated Mar 4, 2024, 5:39 PM IST