अजय ग्रेवाल, दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल, जो हर रोज़ 10,000 छात्रों को सरकारी नौकरी की तैयारी कराते हैं। जानें कैसे वे पुलिस की नौकरी के साथ-साथ छात्रों को पढ़ाने का ये अनोखा काम करते हैं।
नई दिल्ली। हरियाणा के बहादुरगढ़ में एक साधारण दो मंजिला मकान की छत पर रोज़ाना एक अनोखी पाठशाला लगती है। यहां गद्दे पर बैठे स्टूडेंट्स की नजर दीवार पर लगे व्हाइटबोर्ड पर टिकी रहती है, जिस पर अजय ग्रेवाल गणित, सामान्य ज्ञान और अन्य विषयों की तैयारी करा रहे होते हैं। यह सिलसिला शाम 6 बजे से शुरू होकर सुबह 3 बजे तक चलता है। अजय अपने दिन के 24 घंटों में से सिर्फ 5 घंटे सोते हैं। वे सुबह 3 बजे कक्षाएं खत्म करते हैं और फिर 5 घंटे की नींद लेकर 8 बजे उठकर अपने ऑफिस के लिए निकल जाते हैं।
दिल्ली पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल हैं अजय ग्रेवाल
अजय ग्रेवाल, जो दिल्ली पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल हैं, अपनी ड्यूटी के बाद बचा पूरा समय स्टूडेंट्स को पढ़ाने में खर्च करते हैं। उनके पढ़ाने का यह जुनून और समर्पण छात्रों को सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं की तैयारी में मदद कर रहा है। अजय ने 2016 में 'विद्यान महादान कोचिंग सेंटर' की शुरुआत की थी। यहां वे हर दिन 100 से अधिक छात्रों को पढ़ाते हैं। ऑनलाइन माध्यम से जुड़ने वाले स्टूडेंट्स की संख्या को भी जोड़ लिया जाए तो कुल छात्रों की संख्या 10,000 तक पहुंच जाती हैं, देश के अलग-अलग राज्यों के स्टूडेंट्स उनसे जुड़ते हैं।
दिल्ली पुलिस में भर्ती पर सपना सिविल सर्विसेज ज्वाइन करने का
अजय का झुकाव पहले कुश्ती में था। दिल्ली पुलिस में भर्ती होने के बाद भी उन्होंने कुश्ती जारी रखी। लेकिन उनका असली सपना सिविल सर्विस में जाने का था। 2013 में यूपीएससी की तैयारी शुरू करने के बाद उन्होंने कई परीक्षाएं दीं, लेकिन सेलेक्शन नहीं हो सका। अपनी पढ़ाई के उसी अनुभव को अब वे गरीब बच्चों के साथ शेयर कर रहे हैं।
'विद्यान महादान' नाम से चलाते हैं यूट्यूब चैनल
अजय के पढ़ाने का तरीका अनोखा है। छात्र उनकी छत पर न केवल पढ़ाई करते हैं, बल्कि कई बार वही सो भी जाते हैं। अजय अपने कोचिंग के साथ-साथ 'विद्यान महादान' नाम से यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं, जहां 6,000 से अधिक फॉलोअर्स और 500 से अधिक कोचिंग से जुड़े वीडियो उपलब्ध हैं। इससे न केवल बहादुरगढ़ बल्कि पूरे देश के छात्र उनकी कक्षाओं का लाभ उठा सकते हैं।
शाम 6 बजे से शुरू हो जाता है पढ़ाई का सिलसिला
अजय के कई पूर्व छात्र, जो अब सरकारी नौकरियों में हैं, उनके कोचिंग सेंटर में समय-समय पर आकर अन्य छात्रों को भी पढ़ाते हैं। अजय की डेली रूटीन बहुत ही चुस्त है। सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक पुलिस की नौकरी और फिर शाम को 6 बजे से पढ़ाने का सिलसिला। यह किसी तपस्या से कम नहीं है। अजय की यह कहानी केवल एक शिक्षक की नहीं, बल्कि उस जुनून और समर्पण की है, जिसने हजारों गरीब बच्चों के सपनों को साकार करने में मदद की है।
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Last Updated Oct 13, 2024, 3:04 PM IST