नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ अपनी बेबाक टिप्पणी और न्याय के लिए जाने जाते हैं। साथ ही 64 साल से ज्यादा की उम्र में फिटनेस भी काबिले गौर है। बृहस्पतिवार को उन्होंने अपनी फिटनेस का राज शेयर करते हुए बताया कि इसके पीछे अपनी दिनचर्या का कठोरता से अनुपालन करना पड़ता है। जो आज के युवाओं से लेकर के बड़े बुजुर्गों तक के लिए अनुकरणीय साबित हो सकती है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ में बताया कि वह आज भी भर में 3:30 बजे योग करने के लिए उठ जाते हैं। उनकी फिटनेस का राज प्रतिदिन का योगाभ्यास है। साथ में वह पिछले 5 महीना से पूर्णरूपेण शाकाहारी आहार ग्रहण करते हैं। जीवन के समग्र पैटर्न पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करके वह अपने को चुस्त दुरुस्त रखते हैं।


 

तनाव रहित जीवन के लिए योगाभ्यास को बताया जरूरी
22 फरवरी को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयुष हॉलिस्टिक कल्याण केंद्र का उद्घाटन करने पहुंचे थे। उद्घाटन के बाद उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि मैं लगभग 1 साल पहले पांच कर्म कराया था अब मैं इसे दोबारा करने की तैयारी कर रहा हूं।हालांकि सुप्रीम कोर्ट में हमारे सहयोगियों सभी 34 न्यायाधीशों सहित 2000 से अधिक स्टाफ सदस्य हैं। उन्हें अपने दैनिक कार्यों में जबरदस्त तनाव झेलना पड़ता है। इससे फाइलों पर भारी काम का बोझ पड़ जाता है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में मेरा मानना है कि समग्र जीवन शैली पर विचार करना बहुत जरूरी है। इससे न केवल न्यायाधीशों और उनके तत्काल परिवारों के लिए बल्कि स्टाफ सदस्यों के लिए भी मानसिक दबाव कम होगा।

कोरोना ग्रसित होने पर पीएम मोदी के फोन करने का सुनाया किस्सा
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कोरोना ग्रसित होने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोन करने की का किस्सा बताया। कहा कि उसे दौरान उन्होंने एक वैद के बारे में उन्हें फोन करके बताया था। उन्होंने आयुर्वेदिक चिकित्सा के बारे में बताया साथ ही जीवन में तनाव रहित जीवन शैली अपनाने पर जोर दिया। जिसमें सबसे ज्यादा मददगार उन्होंने योगाभ्यास और खान-पान को बताया। उन्होंने कहा कि मैं पारंपरिक आयुर्वेद के लबों पर सभी डॉक्टरों और आयुष से जुड़े लोगों का हृदय से आभारी हूं। उनके पास साकेत में एक अद्भुत सुविधा है और अब हम इसे सुप्रीम कोर्ट में ला रहे हैं। इसमें योगदान देने वाले प्रत्येक डॉक्टर ने वैज्ञानिक तरीके से यह सुविधा तैयार की है।



 

देश के हर नागरिक को रोगमुक्त बनाने की जरूरत
इस दौरान केंद्रीय आयुष और बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि देश को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए हमें हर नागरिक को रोगमुक्त बनाना होगा। इस परियोजना से 20,000 से अधिक आदिवासी छात्रों को लाभ होगा। आयुष मंत्रालय ने अपनी अनुसंधान परिषद, सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज (सीसीआरएएस) के माध्यम से जनजातीय मामलों के मंत्रालय और आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन ट्राइबल हेल्थ, जबलपुर की संयुक्त पहल से आदिवासी छात्रों के लिए यह स्वास्थ्य पहल की है।

कौन हैं डीवाई चंद्रचूड़
देश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ है। वर्तमान में भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं। 09 नवंबर 2022 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रह चुके हैं।


 

वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट में बने जज
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को भारत के सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुए। इनके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ भारत के सुप्रीम कोर्ट के 16वें और सबसे लंबे समय तक सेवारत मुख्य न्यायाधीश थे। इनकी माता प्रभा शास्त्रीय संगीतज्ञ हैं। उन्होंने वर्ष 1979 में सेंट स्टीफन कॉलेज नई दिल्ली से अर्थशास्त्र और गणित विषय के साथ स्नातक ( ऑनर्स ) की उपाधि प्राप्त की। ऑनर्स की सूची में दिल्ली विश्वविद्यालय में उन्होंने सर्वोच्च स्थान पाया। वर्ष 1982 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से विधि में स्नातक उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1983 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से एलएलएम की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1986 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

2015 में मिल चुकी है एलएलडी की मानद उपाधि
वर्ष 2015 में डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ ने एलएलडी की मानद उपाधि दी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बंबई उच्च न्यायालय में वकील के रूप में अभ्यास किया तथा संवैधानिक कानून और सार्वजनिक कानून में विशेष रूचि ली। वर्ष (1998-2000) में जस्टिस चंद्रचूड़ एडिशनल सोलिस्टर जनरल ऑफ इंडिया नियुक्त हुए। 29 मार्च 2000 को बम्बई हाई कोर्ट में अतिरिक्त जज नियुयक्त हुए। 31 अक्टूबर 2013 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद पर आसीन हुए। 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के जज बने।

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