लखनऊ। किसी भी नये काम की शुरुआत में मुश्किलें आती हैं। रायबरेली के डॉ. नितिन सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ। जब साल 2016 में इजराइल से वापस आने के बाद उन्होंने मधुमक्खी पालन का काम शुरु किया। दोस्त और परिवार के लोग कहने लगे कि इतना पढ़ाई करके क्या हुआ, जब मधुमक्खी पालन कर रहे हो। लोगों ने उनकी खिल्लियां उड़ानी शुरु कर दी। ताने सुनने के बाद भी नितिन अपने मकसद से डिगे नहीं। कुछ समय बीता और कारोबार में सफलता मिलने के बाद मजाक उड़ाने वाले लोग अपने बच्चों को काम करने के लिए भेजने लगे। वर्तमान में नितिन खुद के प्रोडक्ट को मार्केट में स्थापित करने के साथ अन्य लोगों को भी ट्रेनिंग दे रहे हैं।

इजराइल में काम के दौरान मिली प्रेरणा

मदुरै कामराज यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु से एनवायरमेंटल बायोटेक्नोलॉजी से पीएचडी करने के बाद डॉ. नितिन सिंह को जर्मनी की एक यूनिवर्सिटी में जाने का मौका मिला और फिर वह इजराइल भी गए। इजराइल में रहते हुए उन्हें मधुमक्खियों पर काम करने का मौका मिला। डॉ. नितिन कहते हैं कि मधुमक्खियों की बीमारी को ठीक करने के लिए हल्दी पाउडर या अजवाइन पाउडर का यूज किया जाता था। काम के दौरान देखा कि मेरी बॉस डॉ. विक्टोरिया मधुमक्खी पालन करती थी। उससे बने प्रोडक्ट को वह बाजार में बेचती थी, जबकि उनकी उम्र 50 वर्ष से ज्यादा थी। 

ये बना उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट

ऐसा भी समय आया, जब डॉ. नितिन और उनकी पत्नी ने विचार किया कि यहीं सेटल हुआ जाए या हिन्दुस्तान वापस चला जाए। फिर उन लोगों ने देश लौटने का फैसला लिया, 2016 में भारत वापस आ गए और उद्यमी बनने का फैसला लिया। मधुमक्खी पालन का काम शुरु किया और अपना ब्रांड बाजार में लेकर आएं। उनके जीवन में सबसे बड़ा स्ट्रगल यही था कि जब उन्होंने मधुमक्खी पालन का काम शुरु किया तो लोगों ने उनका मजाक उड़ाना शुरु कर दिया। लोगों ने यहां तक कहा कि विदेश में काम करने के बाद यहां आकर शहर बेच रहे हो। डॉ. नितिन कहते हैं कि वह आज भी लोगों को शहद देने जाते हैं।

पूजा घर से शुरु किया था काम

उन्होंने अपने घर के प्रेयर रूम से काम की शुरुआत की। मौजूदा समय में लखनऊ के चिनहट में उनका आफिस है। डॉ. नितिन कहते हैं कि यह काम पैसन से शुरु किया था, जो बाद में बिजनेस में बदल गया। हम आने वाले कल के लिए उद्यमी भी बनाते हैं। किसान बनाने के लक्ष्य में नहीं रहता हूॅं। क्योंकि मेरा मानना है कि लोग प्रोडक्ट बनाएं और बेचें। उससे उन्हें अच्छा लाभ मिलेगा।

1700 किसान बनाते हैं अपने प्रोडक्ट

नितिन कहते हैं कि हमारे साथ देश भर में 71 युवक जुड़कर काम कर रहे हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो हमसे प्रोडक्ट लेते हैं और लेबल लगाकर बेचते हैं। 1700 ऐसे किसान जुड़े हुए हैं, जो अपने प्रोडक्ट को बनाते हैं। मेरा मकसद है कि शहद से जो मोम निकलता है। उससे वैल्यू एडेड प्रोडक्ट बनाया जाए। जैसे-मोम का साबुन, क्रीम, पेन बॉम, आदि। कई संस्थाओं के साथ जुड़कर लखीमपुर में महिलाओं को ट्रेंड भी किया जा रहा है। ताकि उनका भी जीवन स्तर बेहतर हो सके।