लखनऊ.राजधानी लखनऊ का भरवारा क्रासिंग , यहां जब रेलवे फाटक खुलता है और बंद होता है तो लोगों की निगाह फाटक खोलने वाली मिर्जा सलमा तक खुद पहुंच जाती है, कुछ लोग हैरत से देखते हैं कि बरसों से जो काम मर्द करते चले आ रहे थे वह एक अदना सी लड़की कैसे कर सकती है.. 
ट्रेन से गुजरने वाले भी सलमा को टकाटक देखते हैं हाथों में झंडा लिए सलमा उस वक्त तक खड़ी रहती हैं जब तक ट्रेन चली नहीं जाती और फिर ट्रेन की टाइमिंग एक डायरी पर नोट करती है और अगली ट्रेन का इंतजार करती हैं..

पूरी ट्रेनिंग के बाद तैनाती हुई
गोमतीनगर निवासी सलमा को अपने पिता की नौकरी मिली है, उनके पिता को कम सुनाई देता था, फिजिकली अनफिट थे, तबीयत भी खराब रहती थी लिहाजा सलमा ने फैसला किया कि वह अपने पिता का काम संभालेंगी, रेलवे ने उनके इस फैसले का स्वागत किया सलमा ने एग्जाम दिया, गेट खोलने बंद करने का प्रशिक्षण लिया और बन गई हिंदुस्तान की पहली गेट वुमन।

12 घंटे की नौकरी और 2 साल का बेटा
सलमा ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया,  उनका 2 साल का बेटा है 12 घंटे की नौकरी के बाद जब वह घर जाती हैं तो बेटा उनसे लिपट जाता है, हालांकि उनके पिता उनके साथ ही रहते हैं और बेटा पिता से इतना घुल मिल गया है कि मां की कमी बहुत ज्यादा नहीं महसूस करता है।

शादी हो या ना हो नौकरी नहीं छोडूंगी
अपनी शादी के बारे में सलमा कहती हैं कि "मेरे हस्बैंड ने मुझसे कहा कि मैं शादी तो कर लूंगा लेकिन आपको यह नौकरी छोड़ना पड़ेगा और मेरा जवाब था कि शादी मेरी हो या ना हो नौकरी मैं नहीं छोडूंगी क्योंकि यह मेरा करियर है इसी नौकरी ने मुझे पहचान दिया है जिसके बाद हस्बैंड भी उनकी बात से कन्वेंस हो गए।

हिजाब के बगैर घर से निकलना पसंद नहीं
सलमा हिजाब लगाकर नौकरी कर रही है, चूंकि हिजाब को लेकर कुछ अराजक तत्वों द्वारा लगातार बवाल किया जाता है लिहाजा सलमा ने बताया की "मेरे स्टाफ में कभी किसी ने मुझे हिजाब के लिए कुछ नहीं कहा मैं अपने शौक से हिजाब लगाती हूं क्योंकि मुझे बिना हिजाब के घर से निकलना पसंद नहीं है ना मेरे घर वालों ने मुझे कभी रोका टोका ना मेरे शौहर ने।

कल तक जो ताने देते थे आज मुझ पर रश्क करते हैं 
जब सलमा ने यह नौकरी किया दो रिश्तेदारों ने बड़े तंज कसे, अम्मी अब्बू से आकर कहा यह मर्दों की नौकरी बेटी से क्यों करवा रहे हो, किसी को मेरे बेपर्दा आने-जाने में तकलीफ थी लेकिन जिस दिन अखबार में खबर छपी कि सलमा हिंदुस्तान की पहली गेट वुमन है उस दिन यह ताना देने वाले मुझ पर रश्क करने लगे।

जो संघर्ष करता है वह इतिहास रचता है
22 साल की उम्र में सलमा गेट वुमन बनी थी आज उनको नौकरी करते हुए 10 साल गुजर गए वह कहती हैं शुरुआत में घबराहट होती थी डर भी लगता था लेकिन अब लगता है कि जो संघर्ष करता है वही इतिहास रचता है।

ये भी पढ़ें 

फेरी वाले पिता की टॉपर बेटी...