गुजरात के रमेश रूपरेलिया की प्रेरणादायक कहानी, जिन्होंने 80 रुपये महीने की मजदूरी से शुरू किया और आज 8 करोड़ सालाना का डेयरी कारोबार खड़ा किया। जानिए कैसे संघर्ष और आत्मविश्वास ने उनकी किस्मत बदली।
नई दिल्ली। गुजरात के एक छोटे से गांव में जन्मे रमेश रूपरेलिया का जीवन संघर्ष और आत्मविश्वास की अनोखी कहानी है। बचपन में आर्थिक कठिनाइयों से जूझे, लेकिन उनकी इच्छाशक्ति ने उन्हें उस मुकाम तक पहुंचा दिया, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। एक समय ऐसा था जब रमेश को गाय चराने के लिए सिर्फ 80 रुपये प्रति माह मिलते थे, और आज वही रमेश अपने डेयरी व्यवसाय से सालाना करोड़ों की कमाई कर रहे हैं।
गौशाला खोली, कर्ज में डूबे
रमेश का जीवन हमेशा से आसान नहीं था। वे केवल सातवीं कक्षा तक ही पढ़े थे और उनकी पारिवारिक स्थिति ऐसी थी कि उन्हें कम उम्र में ही आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। उनके परिवार ने एक गौशाला खोली थी। लेकिन यह निर्णय आर्थिक संकट का कारण बन गया। उनका परिवार कर्ज के बोझ तले दब गया, और वे खुद को असफल मानने लगे। फिर अपनी जमीन बेचकर गोंडल शहर आ गए। वहां गाय चराने का काम किया, जिसके बदले उन्हें 80 रुपये महीने मिलते थे।
गोंडल शहर में प्याज की खेती से कमाए 35 लाख
रमेश भाई के पास अपनी खुद की जमीन भी नहीं थी। उन्होंने गोंडल में एक जैन परिवार से जमीन किराये पर ली थी। वह भूमि खेती लायक नहीं थी तो उन्होंने खेत को उपजाऊ बनाने के लिए गायों से जुड़ी खेती की। कभी केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया और गायों के गोबर व गोमूत्र से खेतों को उपजाऊ बना दिया। यहां से उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया, जब उन्होंने प्याज की फसल लगाई और उससे 35 लाख रुपये की भारी कमाई हुई। यह उनके जीवन का पहला बड़ा मोड़ था। इस सफलता ने उन्हें अपना खोया हुआ आत्मविश्वास वापस दिलाया।
इंटरेस्ट को बिजनेस बनाया-कंप्लेन के बाद दूध बेचना बंद
रमेश को बचपन से गायों से बेहद प्यार था, और इस नए आत्मविश्वास ने उन्हें अपने इंटरेस्ट को बिजनेस में बदलने का रास्ता दिखाया। उन्होंने गिरि गायों की देखभाल शुरू की और उनके दूध से घी बनाने का काम शुरू किया। शुरुआत में, यह काम आसान नहीं था। उनके दूध की गंध को लेकर शिकायतें आने लगीं, और रमेश को दूध बेचना बंद करना पड़ा। लेकिन रमेश हार मानने वालों में से नहीं थे।
घी बनाया, साइकिल से बेचने लगे
उन्होंने एक छोटे से किराए के कमरे में घी बनाना शुरू किया। अपनी साइकिल पर प्लास्टिक और कांच के जारों में घी भरकर वह इसे गली-गली बेचते थे। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनकी मेहनत एक दिन इतनी बड़ी सफलता का रूप ले लेगी। ग्राहकों ने उनके घी को पसंद किया, और उनका प्रोडक्ट पॉपुलर हो गया।
123 देशों में घी का एक्सपोर्ट, सालाना 8 करोड़ की कमाई
रमेश ने सिर्फ सामान्य घी नहीं, बल्कि औषधीय गुणों से भरपूर गिरि गाय का घी बनाया, जिसे लोग हाथों-हाथ लेने लगे। गिरि गाय के दूध से बने घी के स्वास्थ्यवर्धक गुणों ने इसे बहुत लोकप्रिय बना दिया। धीरे-धीरे रमेश का व्यवसाय बढ़ने लगा और उनका नाम दूर-दूर तक फैल गया। कुछ गायों के साथ शुरू किया गया यह सफर आज 250 गिरि गायों तक पहुंच गया है, और रमेश अब सालाना 8 करोड़ रुपये की कमाई कर रहे हैं। उनका घी अब 123 देशों में निर्यात किया जा रहा है।
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Last Updated Sep 10, 2024, 2:07 PM IST