नई दिल्ली। हर व्यक्ति के जीवन में चुनौतियां आती हैं, लेकिन जो लोग इनका डटकर सामना करते हैं, वे मिसाल बन जाते हैं। झारखंड के छोटे से गांव से निकलकर मुंबई की सड़कों पर संघर्ष करने वाले ठाकुर मनोज सिंह की कहानी इसी बात का जीता-जागता उदाहरण है। 'गोल्ड मैन' के नाम से मशहूर मनोज सिंह का जीवन स्ट्रगल और हार्ड वर्क की अद्भुत मिसाल है।

आर्थिक तंगी के बीच गुजरा बचपन

झारखंड के हजारीबाग जिले के एक छोटे से गांव कुतलू में जन्मे ठाकुर मनोज सिंह का बचपन आर्थिक तंगी के बीच गुजरा। परिवार की गरीबी ने उन्हें कम उम्र में ही जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा दिया। बेहतर जीवन की तलाश में 18 साल की उम्र में मनोज मुंबई पहुंचे। यहां शुरूआत में उन्हें मजदूरी करनी पड़ी। कई बार उन्होंने सड़कों और फुटपाथों पर रातें बिताईं, लेकिन हार नहीं मानी।

2010 में ट्रांसपोर्ट बिजनेस की शुरुआत

मुंबई में एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते हुए मनोज ने लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट सेक्टर की बारीकियों को समझा। यह एक्सपीरियंस उनके लिए वरदान साबित हुआ। यहीं से उन्होंने खुद का ट्रांसपोर्ट बिजनेस शुरू करने का सपना देखा और उसे साकार करने में जुट गए। साल 2010 में मनोज ने अपने पहले ट्रांसपोर्ट बिजनेस की शुरुआत की। मुंबई और राजकोट के बीच माल ढुलाई से छोटे स्तर पर शुरू हुआ यह काम धीरे-धीरे बढ़ता गया। आज 100 से अधिक ट्रकों के मालिक हैं। 500 से ज्यादा वर्कर हैं। महाराष्ट्र के बड़े उद्योगपतियों की लिस्ट में शामिल हैं। 

ये है 'गोल्ड मैन' बनने की कहानी

मनोज सिंह को 'गोल्ड मैन' का नाम उनके सोने के गहनों के प्रति प्रेम के कारण मिला। वह अक्सर सार्वजनिक कार्यक्रमों और समारोहों में भारी सोने के गहने पहनकर जाते हैं। उनकी इस अनोखी पहचान ने उन्हें अलग नाम और प्रसिद्धि दिलाई। हालिया, पूर्व पीएम अटल बिहारी की 100वीं जयंती पर आयोजित एक प्रोग्राम में सबकी नजरें उन पर टिकी थीं, क्योंकि उन्होंने सोने के ढेरों गहने पहन रखे थे। इसी वजह से वह एक बार फिर सुर्खियों मे हैं।

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