वैशाली। कहते हैं, मेहनत और हौसले से हर सपना साकार किया जा सकता है। बिहार के वैशाली जिले की पूजा कुमारी ने इस बात को सच कर दिखाया है। सीमित संसाधनों और ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी पूजा ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के एग्जाम में सक्सेस हासिल की है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी (BAO) के पद पर सेलेक्शन हुआ है। पूजा कुमार की जर्नी बताती है कि यदि इरादे पक्के हों तो सपनों को सच करने की राह में फाइनेंशियल क्राइसिस बाधा नहीं बन सकती।

वैशाली के छोटे गांव से निकलकर बीएओ तक

वैशाली जिले के एक छोटे से गांव में जन्मी पूजा कुमारी का जीवन स्ट्रगल और चैलेंजेज से भरा रहा। साधारण परिवार में पली-बढ़ी पूजा के पिता उमेश चौधरी गांव में दर्जी का काम करते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी, लेकिन उन्होंने कभी अपनी बेटी की पढ़ाई में कमी नहीं आने दी। इसी वजह से पूजा ने वह कर दिखाया, जिसे हासिल करना किसी बड़े सपने जैसा था।

सरकारी स्कूल से शुरूआती पढ़ाई

पूजा की शुरूआती पढ़ाई सरकारी स्कूल से हुई। परिवार की सीमित आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने कभी अपने हालात को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। पूजा के पिता उमेश चौधरी ने हमेशा यह सपना देखा था कि उनकी बेटी अधिकारी बने। पूजा ने भी अपने पिता के सपने को प्रॉयोरिटी दी। हार्डवर्क किया ताकि कोई भी बाधा उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचने से न रोक सके।

गांव में पढ़ाई और प्रिपरेशन

ग्रामीण परिवेश में पढ़ाई और प्रिपरेशन अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। पूजा ने इन कठिनाइयों का डटकर सामना किया। गांव में पढ़ाई के माहौल की कमी और संसाधनों की कमी के बावजूद उन्होंने खुद को पॉजिटिव बनाए रखा और अपनी तैयारी को प्रॉयोरिटी दी। पूजा के पिता उमेश चौधरी कहते हैं कि यह उनकी वर्षों की मेहनत और संघर्ष का सबसे बड़ा इनाम है। उन्होंने आर्थिक तंगी के बावजूद अपनी बेटी की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी।

कॉम्पिटिशन की मुश्किलों को किया पार

पूजा ने बीपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए एक सटीक रणनीति बनाई। अपनी पढ़ाई का समय तय किया और अपने लक्ष्य पर फोकस रखा। संसाधनों की कमी और कॉम्पिटिशन की मुश्किलों को पार करते हुए उन्होंने यह मुकाम हासिल किया।

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