कानपुर। दिल के मरीजों के लिए अच्छी खबर है। आईआईटी कानपुर आर्टिफिशियल हार्ट बना रहा है, जो मरीजों को नया जीवन देगा। बेसिकली इसे 'लेफ्ट वर्टिकुलर असिस्ट डिवाइस' कहते हैं। सामान्यत: दिल के मरीजों के हार्ट में ब्लड इकट्ठा तो हो जाता है, पर हार्ट पूरी तरह ब्लड को पम्प नहीं कर पाता है। यह डिवाइस हार्ट में इकट्ठा हुए ब्लड को पम्प करने का काम करेगा। 

ब्‍लड शरीर में पंप करेगा 'लेफ्ट वर्टिकुलर असिस्ट डिवाइस' 

आईआईटी कानपुर के गंगवाल स्कूल आफ मेडिकल साइंस के रिसर्च एंड डेवलपमेंट हेड प्रो. अमिताभ बंदोपाध्याय ने बताया कि हम आर्टिफिशियल हार्ट बना रहे हैं। बेसिकली यह लेफ्ट वर्टिकुलर असिस्ट डिवाइस होगा। हार्ट एक पम्प की तरह काम करता है, पूरे शरीर से खून हार्ट में इकट्ठा होता है और फिर वहां से पम्प होकर पूरे शरीर में जाता है। कुछ मामलों में हार्ट में ब्लड इकट्ठा तो हो जाता है, पर सिर्फ 50 फीसदी ब्लड ही पूरे शरीर में वापस पम्प हो पाता है। 

करीबन 4 साल में बाजार में आने की उम्मीद

प्रो. अमिताभ बंदोपाध्याय कहते हैं कि हम हार्ट के अंदर छेद करके यह मशीन लगा देंगे, जो खून इकट्ठा हुआ है, वह छेद के जरिए डिवाइस पर जाएगा। यह डिवाइस मेटल से बना हुआ पम्प होगा, जो हार्ट के मुकाबले काफी छोटा होगा। यह डिवाइस ब्लड को सीधे धमनी पर डालेगा। हम हार्ट में ब्लड इकट्ठा होने की प्रक्रिया में कुछ नहीं कर रहे हैं। सिर्फ ब्लड को शरीर में पम्प करने के लिए मशीन लगा रहे हैं। यह डिवाइस हार्ट की अपेक्षा काफी छोटा होगा। अभी इस पर काम चल रहा है। क्लीनिकल ट्रायल के बाद इसके मार्केट में आने में करीबन 4 साल लगने की उम्मीद है। 

अस्पतालों में संक्रमण पर कंट्रोल के लिए बन रही डिवाइस

प्रो. बंदोपाध्याय का कहना है कि हम खुद का एंडोस्कोप भी बना रहे हैं। आटोमेटिक व्हीलचेयर भी बना रहे हैं, जो ड्राइवरलेस कार की तरह काम करेगा। इसके अलावा एक ऐसी डिवाइस भी तैयार की जा रही है, जो अस्पतालों के संक्रमण पर नियंत्रण कर सके। इसके इस्तेमाल से बाथरूम, बिस्तर आदि से फैलने वाले संक्रमण पर रोक लगेगी। आईआईटी कानपुर एक परकेटूनियस एक्सेस डिवाइस भी बना रहा है, जो दिल के मरीजों के इलाज में मददगार साबित होगी। इसके जरिए हार्ट तक जरुरी इंस्ट्रूमेंट पहुंचाया जा सकेगा। 

...इसलिए सस्ते दाम में मिलेगी डिवाइस

आईआईटी कानपुर जो मेडिकल डिवाइस बना रहा है। वह काफी सस्ते में उपलब्ध होगा। यह सस्ता इसलिए नहीं होगा, क्योंकि उसमें यूज की जाने वाली चीजों की क्वालिटी से समझौता किया गया है। तैयार होने वाले डिवाइस की क्वालिटी बाजार में उपलब्ध डिवाइस की क्वालिटी के बराबर या बेहतर होगी। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि जैसे एक ही आकार की भूमि पर अलग—अलग दो मकान बन रहे हैं। पर एक मकान में जमीन नहीं खरीदनी है। सिर्फ निर्माण करना है और एक मकान के निर्माण में भूमि भी परचेज करनी है। जिससे उसके निर्माण का खर्च ज्यादा आएगा। ठीक उसी तरह आईआईटी कानपुर में भी रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए जरुरी इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से मौजूद हैं। उन्हें जुटाने के लिए मशक्कत नहीं करनी है, बल्कि सिर्फ लैब में काम करना है। इस वजह से आईआईटी कानपुर में बनने वाली डिवाइस काफी सस्ते दामों में उपलब्ध होगी।

रिसर्च एंड डेवलपमेंट में ये कर रहे मदद

इस प्रोजेक्ट के लिए आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र, कंपनियों के सीएसआर फंड और गवर्नमेंट की तरफ से फंड दिया जा रहा है। आईआईटी कानपुर में पढ़ चुके छात्र पहले भी रिसर्च एंड डेवलपमेंट में मदद करते रहे हैं।