अनाथ बच्चियों को पालने वाले हरे राम पांडेय और उनकी पत्नी को अपमान सहना पड़ता था। पड़ोसी ताना मारते थे। ऐसे में कोई भी रास्ता भटक सकता है। पर पांडेय निराश नहीं हुए। मुश्किलों का सामना करते हुए आगे बढ़ते रहें। एक झटके में उनकी जिंदगी बदल गई। जानिए आखिर कैसे?
देवघर। झारखंड के देवघर के रहने वाले हरे राम पांडेय 35 अनाथ बच्चों के पिता हैं। 23 साल से अनाथ बच्चियों को नयी जिंदगी दे रहे हैं। यह काम आसान नहीं था। बड़ी मुश्किल से बच्चों का पालन-पोषण कर रहे थे। साल 2023 में KBC (कौन बनेगा करोड़पति) से मशहूर हुए तो अब लोगों ने हेल्प के लिए कदम आगे बढ़ाए हैं। नारायण सेवा आश्रम ट्रस्ट में पलने वाली बेटियाें का भविष्य संवारने का उनका सपना पूरा हो रहा है। MY NATION HINDI से उन्होंने 15 साल पहले का एक रोचक वाकया शेयर किया है।
पत्नी को चुभी पड़ोसियों की ये बात
हरे राम पांडेय कहते हैं कि 15 साल पहले टूटा-फूटा झोपड़ीनुमा घर था। पड़ोस की एक महिला ने मेरी पत्नी भवानी देवी को ताना मारते हुए कहा, 'ये पांडेय कौन है? न जाने कौन-कौन सी जाति का बच्चा उठा लाता है, अपनी औरतिया (पत्नी) को भी मेहतर (Scavenger) बना दिया है।' यह बात पत्नी को चुभी।
आज एक साधारण महिला को जान गया पूरा देश
भवानी देवी ने यह बात हरे राम पांडेय से बताई तो उन्होंने पूछा क्या आपको महसूस होता है कि आप कुछ गंदा काम कर रहे हैं? पत्नी का जवाब था नहीं। तब पत्नी से बच्चों के पालन-पोषण के कामों की चर्चा करते हुए कहा कि वह अपना काम कर रहे हैं और हम अपना काम कर रहे हैं। धर्मग्रंथों में भी कहा गया कि यदि भगवत्कार्य में आप अपमानित हुए हैं तो आने वाले समय में आपको इतना सम्मान मिलेगा कि जगत जान जाएगा। पांडेय कहते हैं कि 15 साल पहले की वह बात आज सही साबित हुई। केबीसी में अमिताभ बच्चन के सामने बैठने का मौका मिला। आज एक साधारण महिला को पूरा देश जान गया।
स्टेशन पर पहचान गया चायवाला फिर...
हरे राम पांडेय एक वाकया सुनाते हुए कहते हैं कि हाल ही में हावड़ा गए थे। रेलवे स्टेशन पर खड़े थे। एक चायवाले ने उन्हें पहचान लिया और कहा कि आप केबीसी वाले बाबा हो ना। फिर थोड़ी देर में डेढ़ से दौ सौ आदमी इकट्ठा हो गए। उनके साथ लोगों ने फोटो ली।
हरे राम पांडेय का पूरा हो रहा ये सपना
हरे राम पांडेय कहते हैं कि पहले तो बड़ी मुश्किल से काम चल रहा था। नारायण सेवा आश्रम ट्रस्ट चलाने के लिए खुद की प्रॉपर्टी बेचनी पड़ी। अब केबीसी से 21 लाख रुपये मिले। लोग भी सहायता के लिए हाथ आगे बढ़ा रहे हैं। मेरा सपना 10+2 स्कूल खोलने का है। लगता है कि वह पूरा होगा।
बेटियों को पढ़ाई के साथ भोजन और दवाई
वह कहते हैं कि इलाके में कृषि योग्य भूमि कम है। मजदूरी का काम करने वाले लोग ज्यादा हैं। गरीबी की वजह से अपने एकाध बेटों को पढ़ने के लिए भेज देते हैं और लड़कियों से बकरी चरवाते हैं। हमने संकल्प लिया था कि ऐसी बेटियों के लिए स्कूल बनवाऊंगा, जिनके पैरेंट्स उन्हें नहीं पढ़ा सकते हैं। उनकी पढ़ाई कराएंगे और भोजन व चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध कराएंगे। इसके लिए कुछ कम्पनियां भी आगे आ रही हैं। अब सरकार भी आश्रम के बगल में जमीन देने को तैयार हो गई है।
कचरों के ढेर, रेलवे ट्रैक से घर लाएं नवजात बच्चियां
आपको जानकर हैरानी होगी कि हरे राम पांडेय पिछले 23 साल से झाड़ी, जंगल, कचरों के ढेर, नदी, बाग, रेलवे ट्रैक, ट्रेनों के बाथरूम में फेंकी गई नवजात बच्चियों को घर लाते हैं। सिर्फ उनका पालन-पोषण ही नहीं करते हैं। बल्कि उन्हें पढ़ा लिखाकर आगे भी बढ़ा रहे हैं। उनका बेटा प्रभात और बहू गायत्री भी आश्रम के काम में रम गए हैं। पूरा परिवार मिलकर ट्रस्ट का काम देखता है। वह कहते हैं कि हमारी समधिन बालिका विद्यालय पटना से रिटायर टीचर हैं। उन्होंने भी तन, मन और धन से सहयोग दिया है।
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Last Updated Feb 20, 2024, 9:58 PM IST