कर्नाटक.कर्नाटक की सेल्वी कुंजिगौड़ा बहुत गरीब परिवार से आती है। 13 साल की उम्र में उसकी शादी कर दी गई । गुड्डे गुड़िया से खेलने वाली उम्र में उसका शारीरिक शोषण होने लगा। शोषण में उसके पति के साथ मां और भाई भी बराबर से शामिल थे। इस यातना से तंग आकर एक दिन सेल्वी ने हिम्मत किया और घर से भाग निकली, घर से निकल कर सेल्वी को समझ नहीं आ रहा था वो कहां जाए। पास के हाईवे  पर पहुंची और सुसाइड करने की सोचा, लेकिन कुछ सोच कर एक बस में बैठी और बस के साथ  मैसूर चली गयी।  

सेल्वी ने किया आत्महत्या का प्रयास

13 साल की सेल्वी को पढ़ाने लिखाने के बजाय उसके भाई और मां घर का सारा काम कराते मारते पीटते और एक दिन एक जोड़ी कान की बाली, कुछ बर्तन के एवज में उसका ब्याह करा दिया। पति के घर आकर सेल्वी के साथ जानवरों वाला सलूक होने लगा और सेल्वी  घरेलू हिंसा का शिकार हो गयी। 5 साल तक यह जुल्म सहते सहते 18 साल की उम्र में एक दिन सेल्वी घर से भाग गई। हाईवे पर पहुंची तो एक बस आ रही थी, सेल्वी ने बस के सामने आकर आत्महत्या करने की सोची लेकिन पता नहीं क्या हुआ कि वह पीछे हट गई  और उसी बस में बैठकर मैसूर चली गयी।ये बस उसकी ज़िंदगी का टर्निंग पॉइंट थी जो  एक नयी  सेल्वी को जन्म देने जा रही थी। ये बस सेल्वी को बुरे दिन से छुटकारा दिलाने आई थी। 

सेल्वी ने सीखा ड्राइविंग 

मैसूर में ओडानादी नामक एनजीओ में पहुंची जहां  रहकर सेल्वी ने ड्राइविंग चलाना सीखा। शुरू में सेल्वी को थोड़ा डर लगा क्योंकि उन्होंने कभी साइकिल तक नहीं चलाया था, लेकिन ओडानादी की डायरेक्टर ने ड्राइविंग इंस्ट्रक्टर को समझाया की सेल्वी को ज्यादा से ज्यादा आसानी दी जाए। सेल्वी के पहले भी दो महिलाओं को ड्राइवर की ट्रेनिंग दी गई थी जब ये महिलाएं ड्राइविंग में एक्सपर्ट हो  गईं तो संस्था ने पैसा इकट्ठा करके मारुति सुजुकी ओमनी वैन खरीदा ताकि यह महिलाएं गाड़ी का इस्तेमाल कैब के रूप में कर सकें,और आत्म निर्भर हो सकें। सेल्वी की दो महिला ड्राइवर साथी पैसेंजर्स के साथ गाड़ी चलाने में दिक्कत का सामना कर रहीं थीं, जबकि सेल्वी हिम्मत नहीं हारी और भारत की पहली फीमेल टैक्सी ड्राइवर बन गई।

सिर्फ कार ही नही बस और ट्रक भी चलाती है सेल्वी

गाड़ी चलाने के साथ-साथ सेल्वी का कॉन्फिडेंस बढ़ रहा था, उसके अंदर का डर ख़त्म हो रहा था , वो महिलाओं को आगे बढ़ने ,आत्म निर्भर बनने और  महिला सशक्तिकरण पर लोगों को भाषण देने लगी थी। एक लड़की जो बस के सामने अपनी जिंदगी खत्म करने वाली थी वह भारत की पहली महिला ड्राइवर बन गई।उसे समझ आ चुका था की उसने आत्महत्या से  अपना कदम पीछे क्यों खींचा था, ज़िंदगी उसके लिए एक शानदार किताब लिखने जा रही थी।  नर्क जैसी ज़िन्दगी से आज़ाद हो कर सेल्वी ने  समाज के लिए मिसाल  कायम किया था। सेल्वी सिर्फ कार ही नहीं चलाती बल्कि बस और ट्रक भी चला लेती हैं। साल 2018 में भारत के राष्ट्रपति ने सेल्वी को इंडियन विमेन अचीवर्स अवार्ड से सम्मानित किया था।

सेल्वी के जीवन पर बन चुकी है डॉक्यूमेंट्री

ड्राइविंग के दौरान सेल्वी की मुलाकात विजी से हुई। विजी भी ड्राइवर थे, दोनो में प्रेम हुआ और सेल्वी ने शादी कर ली ।आज सेल्वी अपने पति और दो बच्चों के साथ एक सुकून की ज़िंदगी गुज़ार रही हैं।सेल्वी के जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है जिसका नाम था "ड्राइविंग विद सेल्वी" फिल्म में   2004 से 2014 तक सेल्वी के जीवन के बारे में बताया गया है।

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