मुजफ्फरनगर। आपने अब तक दूध, मलाई, चीनी और गुड़ से बनी चाय या कॉफी पी होगी। बिना इन चीजों के उपयोगी चाय-कॉफी बनाने की कोई सोच भी नहीं सकता। यूपी के मुजफ्फरनगर के बरवाला गांव के रहने वाले किसान योगेश बालियान ने गन्‍ने के रस से अनोखा स्‍टार्टअप शुरू किया है। वह गन्ने के रस से कॉफी, हर्बल चाय, कुल्फी समेत तमाम आइटम बनाते हैं। उन उत्पादों को खूब पंसद भी किया जाता है। इस काम के लिए उन्होंने ट्रैक्टर-ट्राली को चलती-फिरती हाईटेक दुकान में तब्दील कर दिया, जो सोलर एनर्जी से लैस है। माय नेशन हिंदी से उन्होंने प्राकृतिक खेती शुरु करने से लेकर गन्ने के रस से उत्पाद बनाने के पीछे की कहानी शेयर की है।

आय बढ़ाने के लिए वैल्यू एडीशन 

योगेश बालियान 8 साल से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। 7 साल तक गन्ने से गुड़, शक्कर, खाड़ बनाकर मार्केट में बेचते रहें। उस दरम्यान उन्होंने देखा कि प्राकृतिक खेती की शुरुआत में उपज डाउन होती है। उससे बनने वाले उत्पाद जैसे-शक्कर वगैरह के मार्केट की भी एक लिमिट होती है। ऐसे में उन्‍होंने सोचा कि अपनी आय बढ़ाने के लिए क्या वैल्यू एडिशन किया जा सकता है? फिर उन्होंने गन्ने के जूस से कुल्फी-काफी वगैरह बनाना शुरु किया। 

7 लाख की लागत से बनाई हाईटेक गाड़ी

योगेश कहते हैं कि डेढ़ साल पहले यह आइडिया आया। सब जगह गन्ने का जूस बिकता था। आमतौर पर गन्ने के रस में डाला जाने वाला बर्फ हाइजीनिक नहीं होता तो सोचा कि ऐसा गन्ने का जूस बेच सकते हैं क्या जिसमें बर्फ न डालना पड़े। फिर हमने करीबन 7 लाख लागत से 16 फीट लंबी और 7 फीट चौड़ी गाड़ी डिजाइन की। उसमें फ्रीजर और जरूरी चीजें लगाईं। हम प्राकृतिक तरीके से उगाए गए गन्ने से जूस निकालते हैं। उसे फ्रीजर में ठंडा करते हैं। फिर उसी का जूस निकालकर लोगों को देते है। इससे गन्ने के रस में बर्फ डालने की आवश्यकता नहीं पड़ती। गाड़ी में दो किलोवाट पॉवर का सोलर पैनल भी लगा है। इससे हमें बिजली की आवश्यकता नहीं पड़ती।

 

5 से 7 हजार डेली कमाई

योगेश पहले दीपावली से लेकर होली के सीजन तक मुख्य तौर पर गुड़ बेचते थे। साल का आधा सीजन खाली चला जाता था। अब होली से लेकर दीपावली तक गन्ने के रस से बने उत्पाद बेचते हैं।  उससे डेली 5 से 7 हजार की कमाई हो जाती है। वह दूसरों की भी मदद कर रहे हैं। दो किसानों ने उनसे चर्चा की तो उन्हें भी ऐसी गाड़ी बनाने के बारे में पूरी जानकारी दी। ताकि वह किसान भी अपनी आय बढ़ा सकें।

मां बीमार पड़ीं तो आई समझ, शुरु कर दी प्राकृतिक खेती

कुछ वर्षों से किसान आंदोलन को लेकर पश्चिमी यूपी काफी चर्चा में रहा है। यहां गन्ना प्रमुख फसल है। किसान योगेश बालियान ने साल 2000 में एग्रीकल्चर से बीएससी किया। फिर कृषि विज्ञान केंद, मुजफ्फरनगर में एक प्रोजेक्ट पर काम करने लगे। 3 साल तक काम करने के बाद उन्होंने खेती करने की ठानी। यह विचार भी उन्हें अचानक नहीं आया। दरअसल, उनकी मां बीमार पड़ीं। कई साल तक उनका इलाज चला। इस दरम्यान योगेश की जानकारी में आया कि गंभीर बीमारियां गलत खान-पान की वजह से होती हैं। केमिकल युक्त खाना लोगों की सेहत बिगाड़ रहा है। तब उन्होंने सोचा कि यदि हम किसान होकर खुद केमिकल फ्री अच्छा खाना नहीं खा सकते तो दूसरे कैसे खाएंगे। यही सोचकर उन्होंने 2015 में प्राकृतिक खेती शुरु कर दी। पहले एक एकड़ में परिवार के लिए अनाज उगाए। फिर धीरे-धीरे पूरी खेती को प्राकृतिक खेती में कनवर्ट कर दिया। 

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