जयपुर। राजस्थान के भरतपुर जिले मेवात की रहने वाली शहनाज खान ने साल 2018 में इतिहास रचा था, जब वह सबसे कम उम्र की सरपंच बनी थी। उस समय उनकी उम्र महज 24 साल थी। इलेक्शन के दौरान वह एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहीं थी। उसी दौरान उन्होंने चुनाव लड़कर जीत हासिल की। जिस दिन उन्होंने चुनाव में जीत हासिल की थी। उसी दिन वह एमबीबीएस के चौथे वर्ष की प्रैक्टिकल परीक्षा देने जा रहीं थीं। वह यूपी के मुरादाबाद के तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज और रिसर्च सेंटर से एमबीबीएस कर रहीं थी। 

सबसे कम उम्र की सरपंच बनीं शहनाज

शहनाज खान सरपंच का चुनाव जीतकर, सबसे कम उम्र की सरपंच तो बनी ही। साथ ही राजस्थान-हरियाणा के मेवात इलाके की सबसे अधिक शिक्षित महिला भी बन गई हैं। शहनाज की 
5th तक की पढ़ाई गुरूग्राम के श्री राम स्कूल और 12th तक की पढ़ाई मारूति कुंज से हुई। फिर यूपी के मुरादाबाद से एमबीबीएस करने के बाद गुरुग्राम के सिविल अस्पताल से इंटर्नशिप किया। दअसल, शहनाज के नाना कैबिनेट मिनिस्टर और सांसद रहे थे।  

दादा का चुनाव रद्द होने के बाद लिया फैसला

भरतपुर के गरहाजन गांव की रहने वाली शहनाज ने यूं ही सरपंच का चुनाव लड़ने का फैसला नहीं किया था। दरअसल, उनके दादा गांव के सरपंच थे, पर उन पर झूठी शैक्षणिक योग्यता का प्रमाण पत्र देने का आरोप लगा। उसकी वजह से उनका चुनाव रद्द हो गया। शहनाज ने अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का फैसला लिया। इसकी एक और वजह थी। राजस्थान सरकार ने चुनाव लड़ने के नियमों में बदलाव किया था। उसके मुताबिक, सरपंच का चुनाव लड़ने के लिए 10वीं कक्षा पास होना अनिवार्य था। यही वजह थी कि शहनाज ने खुद चुनाव लड़ने का फैसला किया। हालांकि चुनाव जीतने के बाद शहनाज ने लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ावा देने की बात कही थी।

शहनाज की पूरी फैमिली राजनीति में सक्रिय

शहनाज के दादा 55 साल तक सरपंच थे। उसी सीट से शहनाज ने भी जीत दर्ज की। शहनाज के दादा का चुनाव रद्द होने के बाद घर पर चर्चा हुई कि कौन चुनाव लड़ेगा? उस दरम्यान काफी देर बाद परिवार ने सरपंच के चुनाव में शहनाज को मैदान में उतारने का फैसला लिया। देखा जाए तो शहनाज की पूरी फैमिली राजनीति में है। पिता गांव के प्रधान रह चुके हैं। मां भी सक्रिय राजनीति कर चुकी हैं।

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