गाजियाबाद। गाजियाबाद के चिरोड़ी गांव के मास्टर सचिन बैंसला की शुरुआती दिनों से ही टेक्नोलॉजी में रूचि थी। किसान पिता की सीमित आय की वजह से कॅरियर के ज्यादा विकल्पों तक पहुंच संभव नहीं थी। आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया। माय नेशन हिंदी से बात करते हुए सचिन कहते हैं कि टेक्नोलॉजी में रूचि की वजह से तय किया था कि तकनीक से जुड़ा ही कोई काम शुरु करेंगे। 

पहला स्टार्टअप फेल, शुरु किया ‘हमारा कैफ़े’ 

21 साल की उम्र में अपने पहले स्टार्टअप की शुरुआत करने वाले सचिन बैंसला कहते हैं कि पढ़ाई के दौरान ही अर्बन क्लैप जैसी ही एक सर्विस प्रोवाइडर का काम शुरु किया। उसमें दूसरों पर डिपेंड रहना पड़ता था। उसकी वजह से स्टार्टअप चला नहीं। पैसे डूब गए। उसके बाद मैंने देखा कि जब यूपी पुलिस या अन्य भर्तियां निकलती थीं तो गांव के लोग अपना फॉर्म भरवाने के लिए साइबर कैफे पर जाते थे। ज्यादा भीड़ होने की वजह से फॉर्म फील नहीं करा पाते थे। कई बार भर्तियां निकल जाती थी। पर लोग फॉर्म नहीं भर पाते थे। तकनीकी नॉलेज की कमी भी इसकी एक वजह थी। महिलाओं के जरुरी डाक्यूमेंट नहीं बन पाते थे। इस समस्या का हल निकालने के लिए ‘हमारा कैफ़े’ नाम से दूसरा स्टार्टअप शुरु किया।

लोगों का बढ़ा विश्वास 

सचिन कहते हैं कि हम गांव की पंचायतों में जाकर देखते थे कि किस माताजी का क्या डाक्यूमेंट बनना बचा है। ऑनलाइन ही लोगों के डाक्यूमेंट मंगाकर फील करते थे। धीरे—धीरे लोगों को महसूस होने लगा कि हमारा कैफे उनके काम आ रहा है तो लोगों का विश्वास बढ़ा। यह पूरा काम दो लोग मिलकर करते हैं। 

स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए लाएं 'लाइफ बचाओ फार्मेसी'

उसी दरम्यान सचिन को अपने मामा की दवा की दुकान पर काम करने का मौका मिला तो उनके जेहन में एक नया काम शुरु करने का आइडिया आया। उन्होंने शहर में मिलने वाली फेसिलिटी को गांव के घर—घर तक पहुंचाने के लिए काम शुरु करने का फैसला लिया और 'लाइफ बचाओ फार्मेसी' के नाम से नया स्टार्टअप शुरु कर दिया। सचिन कहते हैं कि हमारी फार्मेसी का काम अब तक प्राइवेट था। अब हम लोगों को गवर्नमेंट से जोड़ना चाहते हैं। उस पर काम चल रहा है। 

'सब होंगे शिक्षित फाउंडेशन' से मुहैया करा रहे ​तकनीकी एजूकेशन

अब सचिन 'सब होंगे शिक्षित फाउंडेशन' के जरिए युवाओं को टेक्नोलॉजी से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। ग्रामीण इलाके के बच्चों को ऑनलाइन तकनीकी शिक्षा मुहैया कराने में जुटे हैं। सचिन कहते हैं कि हम गांव में जाकर बच्चों से पूछते हैं कि आपकी किस चीज में रूचि है और संबंधित विषय में एजूकेशन के लिए उनको आनलाइन प्लेटफार्म उपलब्ध कराते हैं। स्कूलों में 12वीं पास स्टूडेंट्स से बात करते हैं और अपने प्लेटफार्म के जरिए उनकी रूचि से संबंधित विषयों में नि:शुल्क कोर्स उपलब्ध कराते हैं। बच्चों को सीखने के लिए प्रेरित करते हैं।

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