लखनऊ। आए दिन रोड एक्सीडेंट की खबरें सुर्खियां बनती हैं। चीखते-चिल्लाते परिजनों का मातम दिल को तार-तार कर देता है। करीबन 25 साल पहले यूपी के कन्नौज जिले के विशुनगढ़ थाने में तैनात कांस्टेबल भूपसिंह यादव ने भी जब एक रोड एक्सीडेंट के बाद परिजनों का ऐसा ही मातम देखा तो उनका दिल पसीज उठा। माई नेशन हिंदी से बात करते हुए भूपसिंह यादव कहते हैं कि उसी समय मैंने लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने का संकल्प लिया।

 

1999 से चला रहे हैं जन-जागरूकता अभियान

साल 1999 से उनका यह अभियान अनवरत जारी है। एजूकेशनल इंस्टीट्यूट व अन्‍य संस्थाओं में अब तक 1600 कैम्प लगा चुके हैं। 8 लाख लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया है। अब, वह सब-इंस्पेक्टर (एसआई) हैं। मौजूदा समय में लखनऊ के वुमेन पॉवर लाइन-1090 में तैनात हैं। गणतंत्र दिवस पर आयोजित होने वाले रैतिक परेडों में उन्‍हें 26 बार प्रशस्ति पत्र, अंग वस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया है। सामाजिक मंचों पर भी सम्मान मिला है। 1125 लोगों ने ए​प्रिशिएशन लेटर दिए हैं, उनमें वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं।

 

निस्‍वार्थ भाव से लोगों को दे रहें ट्रैफिक नियमों की जानकारी 

दरअसल, कन्नौज में तैनाती के दौरान भूपसिंह ने रोड एक्सीडेंट के कई वीभत्स दृश्य देखें। उन्हें लगा कि उनमें से कुछ दुर्घटनाओं को यातायात​ नियमों का पालन करके रोका जा सकता था और लोगों की जान बच सकती थी। उन्होंने इसके लिए कुछ करने की ठानी  और फिर ड्यूटी के बाद व्यक्तिगत अवकाश लेकर लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक करना शुरू कर दिया। इस काम के लिए वह कोई पारिश्रमिक भी नहीं लेते हैं। निस्वार्थ भाव से निजी खर्च पर लोगोंं को यातायात के नियमों की जानकारी दे रहे हैं। 

 

परिवार के सवाल पर जीती दिल की गवाही

यह काम इतना आसान भी नहीं था। शुरुआती दिनों में परिवार ने उनके काम पर सवाल उठाएं। कहा कि इससे क्या फायदा है? भूपसिंह कहते हैं कि मैंने परिवार को समझाया। पत्नी ने सहयोग किया। मेरी बेटी बड़ी हुई, अब वह मेरा हौसला बढ़ा रही है। हालांकि लोगों ने शुरु में प्रयास किया कि मैं इस तरह का काम न करूं। पर मेरा दिल यह काम करने की गवाही दे रहा था। मैंने रोड एक्सीडेंट के दर्जनों पीड़ितों को अपने हाथों से उठाया है। दुर्घटनाओं की वजह से बहुत सारी समस्याएं पैदा होती हैं। 

 

...जब लोगों ने पूछा, क्‍या मिलता है ये काम करके?

भूपसिंह ने जब जन-जागरूकता अभियान शुरु किया तो लोग कहते थे कि यह काम करके क्या मिलता है? भूपसिंह कहते हैं कि जब लोग पूजा करते हैं तो उनको क्या मिलता है, आत्मबल बढ़ता है। सब लोग अलग-अलग तरह से सामाजिक कार्य करते हैं। यदि पुलिस में रहकर वह सब नहीं कर सकता तो कम से कम यातायात के नियमों के प्रति लोगों को जागरूक तो कर सकता हूं। यदि मेरे जन-जागरूकता अभियान से किसी की जान बचती है तो वह किसी तरह देश के काम आ सकता है। 

 

लोगों की टिप्‍पणियों पर क्‍या बोलें भूपसिंह?

लोगों की तरह-तरह की टिप्पणियों का उन पर असर नहीं पड़ता है। भूपसिंह कहते हैं कि लोगों ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए अपना जीवन दे दिया, फांसी पर लटक गएं तो क्या मैं देश के लिए इतना भी नहीं कर सकता हूं। मैं अपनी वाणी से लोगों को जागरूक कर रहा हूं। ताकि रोड एक्सीडेंट से लोगों का जीवन बच सके। इसीलिए मैं किसी की टिप्पणियों की परवाह किए बिना अपने काम में लगा रहता हूं।

 

महिला सुरक्षा: 2 लाख छात्राओं को भी किया जागरूक

भूपसिंह, ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट और शिक्षण संस्थाओं में 400 कैम्प लगाकर लगभग 2 लाख छात्राओं को महिला सुरक्षा के लिए जागरूक कर चुके हैं। ताकि महिलाएं जरूरत पड़ने पर 1090 या 112 डायल कर सुरक्षा ले सकें। यह काम भी उन्होंने छुट्टी लेकर किया। अपनी ड्यूटी को प्रभावित नहीं होने दिया। मूल रूप से कासगंज के नगला-गोदे गांव के रहने वाले भूपसिंह यादव ने प्रदेश के दर्जन भर से ज्यादा जिलों में जन-जागरूकता अभियान चलाया और अभी भी और अधिक जन-जागरुकता लाने के लिए प्रयासरत हैं।

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