जयपुर। राजस्थान के जयपुर के सुदर्शनपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में भीमराज शर्मा का प्रिंटिंग प्रेस है। यहां गोबर से पेपर समेत 100 से ज्यादा प्रोडक्ट बनाए जाते हैं। ये उत्पाद देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बिकते हैं। करीबन 20 कर्मचारी काम करते हैं। लगभग एक करोड़ रुपये का सालाना व्यवसाय है। सुनकर आप भी चौंके होंगे कि गोबर से बने उत्पादों का बिजनेस।

गाय के गोबर से प्रोडक्ट बनाना नहीं था आसान

जी हां ये सच है। जिस तरह ये सुनकर आप चौंके होंगे। ठीक उसी तरह इस काम की शुरुआत करना भी आसान नहीं था। गौकृति के फाउंडर भीमराज शर्मा माई नेशन हिंदी से बात करते हुए कहते हैं कि साल 2016 में जब यह काम शुरु किया तो सब लोगों को लगता था कि ये क्या काम है? क्या गोबर से कुछ होगा? लोग कहते थे कि अपना काम छोड़कर फालतू का काम कर रहे हो। लोगों ने खूब मजाक भी उड़ाया। 

भीमराज शर्मा ने 2016-17 में शुरु किया काम

भीमराज शर्मा ने साल 2016-17 में ये काम शुरु किया। पहले गोबर से कागज बनाया। पर बाजार में उसका अच्छा रिस्पांस नहीं मिला। पेपर क्वालिटी ऐसी चाहिए था कि जो हर तरह के काम में यूज हो सके। उन्होंने रिसर्च किया और अब गौकृति के पेपर को किसी  भी काम में यूज किया जा सकता है। भीमराज शर्मा कहते हैं कि जब हमें लगा कि सिर्फ पेपर से कुछ ज्यादा नहीं कर सकते तो गाय के गोबर से अन्य प्रोडक्ट बनाएं। गाय के गोबर से पेपर बनाने का फार्मूला पेटेंट भी कराया।

100 से ज्यादा प्रोडक्ट बनाते हैं भीमराज शर्मा

वर्तमान में गौकृति डायरी, कैलेंडर, बैग समेत 100 से ज्यादा प्रोडक्ट बना रही है। रक्षाबंधन का त्यौहार आ रहा है। उसके लिए आर्गेनिक राखियां बनाई जा रही हैं। उनमें ऐसे पौधों के बीज भी डाले जा रहे हैं, जो रक्षाबंधन पर्व के महीनों के आसपास ही उगते हैं। ताकि यदि राखियों को फेंका जाए तो उनसे सुंदर पौधे उग आएं। इन राखियों को गमलों या खेतों में भी डाला जा सकता है। 

भीमराज शर्मा ने कैसे की गोबर से पेपर बनाने की शुरुआत?

भीमराज शर्मा कहते हैं कि एक बार राजीव दीक्षित को सुना तो लगा कि हमें भी कुछ करना चाहिए। जानकारी की तो पता चला कि वह अब इस दुनिया में नही हैं। पहले गो उत्पादों के जरिए चिकित्सा का विचार आया तो लगा की हर आदमी को गोमूत्र नहीं पिलाया जा सकता। गोबर ही एक ऐसी चीज है, जो दूध देने वाली या दूध नहीं देने वाली सभी गायें देती हैं। यदि इनका उपयोग किया जाए तो हम गऊ मॉं को स्वावलम्बी बना सकते हैं।

दीपावली पर दीए बनाने से की शुरुआत

भीमराज शर्मा कहते हैं कि पहले दीपावली के मौके पर गाय के गोबर से दीए बनाएं। पर उसकी भी डिमांड दीपावली के समय ही होती है। फिर हमारी बेटी जागृति शर्मा ने आइडिया दिया कि हाथी के गोबर से कागज बनता है तो हम गोबर से कागज बनाएं। गोबर से पहले जो कागज बनाया। उसकी क्वालिटी इतनी अच्छी नहीं थी। पर आज हमारा कागज अच्छी क्वालिटी का निकलता है। अभी हमारा कागज और अच्छा होता जाएगा।

10 रुपये किलों में खरीदते हैं गोबर

भीमराज शर्मा कहते हैं कि देसी गाय का गीला गोबर दस रुपये किलो खरीदते हैं। गोबर से कागज बनाने का मुख्य मकसद गाय को स्वावलंबी बनाना था। काम की शुरुआत से ही उन्होंने गोबर खरीद कर काम करने का फैसला लिया। साल 2016 से पहले कोई गोबर की बात करना भी पसंद नहीं करता था। काम करना तो दूर की बात है। आज लोगों ने काम करना शुरु किया है। 

दुबई एक्जीबिशन में दिखाएंगे प्रोडक्ट

दी राजस्थान आफसेट प्रिन्टर एसोसिएशन, राजस्थान के उपाध्यक्ष भीमराज शर्मा सितम्बर महीने में दुबई में आयोजित एक्जीबिशन में भी गाय के गोबर से बने प्रोडक्ट्स प्रदर्शित करेंगे। वह कहते हैं कि कहते हैं कि आजकल राखियों में प्लास्टिक ही प्लास्टिक है, जो दो से तीन दिन में फेंक दी जाती है। हमने राखियों में बीज लगाया है, वह जमीन पर जाएंगे तो नये-नये पौधे उगेंगे।