जयपुर। राजस्थान के जयपुर के निर्माण नगर निवासी दिपाली शर्मा और छवि शर्मा सगी बहने हैं। दोनों बहनें दिव्यांग हैं। बोल और सुन नहीं सकती। 80 फीसदी तक दिव्यांग हैं। आमतौर पर ऐसी स्थिति में लोग हार मान लेते हैं और प्रकृति के अभिशाप को ही अपना नसीब मानकर बैठ जाते हैं। पर इन दोनों बहनों ने अपने हौसलों से उड़ान भरी। टैलेंट के दम पर अपनी पहचान बनाई है। उनकी जीवन की कहानी दूसरों के लिए प्रेरणादायक है। 

सिंगापुर में भी लग चुकी है एग्जीबिशन

आप भी जानने के लिए उत्सुक होंगे कि आखिरकार ऐसी स्थिति में दोनों दिव्यांग बहनों ने अपनी पहचान कैसे बनाई। दरअसल, दिपाली शर्मा और उनकी छोटी बहन छवि शर्मा वर्षों से पेंटिंग बना रही हैं। उनकी पेंटिंग इतनी शानदार होती है कि लोगों के दिलों को छू लेती है। दोनों बहनों की पेटिंग्स की एग्जीबिशन सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि सिंगापुर में भी लग चुकी है। 

15 साल से पेंटिंग बना रहीं दोनों बहनें

दीपाली और छवि का बचपन से ही कला के प्रति रूझान रहा है। दोनों ने जयपुर के आईसीसी कॉलेज से विजुअल आर्ट में मास्टर्स किया। उन्हें गोल्ड और सिल्वर मेडल भी मिला। स्कूल के समय से ही पेंटिंग करने की शौकीन बहनें पिछले 15 साल से पेंटिंग बना रही हैं। दीपाली विजुअल आर्ट में पीएचडी पूरी कर रही हैं। छवि शर्मा का टैलेंट ऐसा कि यूएस की एक मैगजीन का कवर पेज भी उन्होंने ही डिजाइन किया।

 

बेटियों की देखभाल के लिए पिता ने लिया वीआरएस

उनके पिता स्टेट बैंक आफ इंडिया में मैनेजर थे। वह चाहते थे ​कि बेटियों का भविष्य उज्ज्वल हो। यही वजह है कि बेटियों की देखभाल के लिए उन्होंने नौकरी से वीआरएस ले लिया। बेटियों को सपोर्ट करना ही उनके जीवन का लक्ष्य है। भले ही दोनों बेटियां सुन और बोल नहीं सकती हैं। पर अपने पिता की भाषा समझती हैं। उनकी इच्छा है कि बेटियां कला के क्षेत्र में आगे बढ़ें। अब तक दोनों बहनों ने लगभग 400 से ज्यादा पेंटिंग बनाई है।

स्टेट कला और सबल अवॉर्ड मिले

दीपाली और छवि एक-दूसरे की बात आसानी से समझती हैं। इसी वजह से दोनों को पेंटिंग करने में कोई दिक्कत नहीं होती। दोनों मिलकर पेंटिंग तैयार करती हैं। दोनों बहनों को राजस्थान सरकार की तरफ से दिव्यांग जन स्टेट कला अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। दीपाली का नामांकन एक बार राष्ट्रपति अवॉर्ड के लिए भी हुआ था। टाटा फाउंडेशन की तरफ से सबल अवॉर्ड मिला है। 

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