केरला। उम्र 78 साल और काम ऐसा की युवा भी उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ रहे हैं। जिस उम्र में लोग रिटायरमेंट लेकर आराम करते हैं उस उम्र में वीए थॉमस कट्टाकायम कटहल की लगभग 400 किस्म की खेती करते हैं और इससे वह प्रति एकड़ ₹400000 कमाते हैं।

कौन है थॉमस कट्टा कायम
थॉमस कट्टा कायम का जन्म केरल के चक्कमपुझा गांव में हुआ था। उनके पिता कटहल प्रेमी थे। कटहल की खेती करते थे और कटहल का बीज लगाने में बहुत सावधानी बरतते थे। थॉमस अपने पिता को कटहल की खेती करते हुए देखते थे और पिता से ही प्रेरणा लेकर उनके अंदर भी कटहल के प्रति प्रेम पैदा हो गया।

दुनिया का सबसे बड़ा जीन बैंक 
थॉमस के घर में रबड़ का कारोबार था लेकिन 2015 में मंदी के कारण रबड़ का कारोबार बंद हो गया। थॉमस ने अपने पिता के लगाए हुए कटहल के पेड़ की देखभाल करना शुरू कर दिया। बीजों का भंडारण करके और बड ग्राफ्टिंग यह बडिंग विधि का उपयोग करके थॉमस नई किस्म के कटहल तो तैयार कर ही रहे हैं साथ में दुनिया का सबसे बड़ा जीन बैंक भी बना रहे हैं। मौजूदा वक्त में थॉमस कटहल की लगभग 400 किस्म की खेती करते हैं।


काम आए पिता के लगाए कटहल 
थॉमस ने अपनी 5 एकड़ भूमि के कुछ हिस्सों में लगभग 114 किस्म के कटहल के पेड़ लगाए उनके पिता की लगाए हुए कटहल के पेड़ों को मिलाकर उनके पास 140 प्रजातियां थी पिछले आठ सालों में थॉमस ने उन प्रजातियों को बढ़ाकर 400 में कर दिया। 400 प्रजातियों के अलावा भी थॉमस हर रोज नहीं किस्म के कटहल की तलाश में रहते हैं और विभिन्न राज्यों में यात्रा करते रहते हैं। जी कटहल का स्वाद उनको पसंद आता है उसके तने कोई इकट्ठा करके अपने खेत में फैला देते हैं।

ऐसे मशहूर हुआ थॉमस का कटहल 
धीरे-धीरे थॉमस के लगाए कटहल की विशेषताओं के बारे में लोगों को पता चलने लगा।  थॉमस का नाम होने लगा और थॉमस ने लोगों को अपने कटहल की किस्म का स्वाद चखाने के लिए खेत में दावत देना शुरू कर दिया।  इस काम से थॉमस के कटहल का प्रचार होना शुरू हो गया।थॉमस के पास कटहल की प्रजातियां में सिंदूरा, सिद्धू, थिंवारिका, सुपर और ऑल सीजन कटहल देने वाले फल मौजूद हैं। थॉमस ने सभी कटहलों  का नामकरण भी कर दिया।  हालांकि यह बड़ा मुश्किल काम था। थॉमस का काम फैलता  चला गया।   इसके लिए उन्होंने दो स्टाफ रख लिया जो कटहल का ख्याल रखते हैं।


वेट लॉस में काम आते हैं थॉमस के कटहल 
थॉमस कटहल के विभिन्न किस्म के पौधों को बेचने की एक नर्सरी भी चलाते हैं जिनकी कीमत 150 रुपए से ₹350 के बीच में होती है । थॉमस के काम की चर्चा इतनी हुई कि केरल के पूर्व कृषि मंत्री सी एस सुनील कुमार ने रियायती मूल्य पर थॉमस को फलों को सुखाने के लिए एक मशीन दी थी। फलों को सावधानी के साथ इस मशीन पर रखा जाता है और सुखाया जाता है सूखने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है तब उन्हें कंटेनर में संग्रहित किया जाता है और बिक्री के लिए तैयार किया जाता है। पका हुआ सूखा कटहल ₹2000 प्रति किलोग्राम होता है जबकि कच्चा कटहल हजार रुपए प्रति किलोग्राम पर मौजूद रहता है सुख कला 750 रुपए प्रति किलो बिकता है । सूखा कटहल प्रोटीन विटामिन खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है इसमें कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है साथ ही यह वजन घटाने में भी काफी सहायक है इस कटहल से स्टू अचार और चिप्स वगैरह बनाया जाता है।


महीने में 4 लाख कमाते है थॉमस 
कटहल के शौक के अलावा थॉमस जनता को कृषि पर्यटन का अनुभव प्रदान करने की ख्वाहिश रखते हैं उनकी योजनाओं में मेहमानों के लिए खेत के चारों और एक वॉकिंग वे विकसित करना है फलों की इंपोर्टेंस और जैविक खेती के फायदे के बारे में लोगों को जानकारी देना थॉमस की इच्छा है। कटहल के व्यापार से थॉमस आज महीने में प्रति एकड़ ₹400000 कमाते हैं।

 

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