डॉ. कामिनी सिंह ने सरकारी नौकरी छोड़कर जैविक मोरिंगा की खेती शुरू की और 2 करोड़ रुपये का कारोबार खड़ा किया। जानें उनकी सफलता की कहानी।
Success Story: ज्यादातर युवाओं का सरकारी नौकरी ज्वाइन करने का सपना होता है। लेकिन कुछ लोग अपनी राह खुद चुनते हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा बनते हैं। ऐसी ही कहानी है डॉ. कामिनी सिंह की, जिन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर आर्गेनिक फॉर्मिंग और बिजनेस का रास्ता चुना। अब 2 करोड़ का सालाना कारोबार कर रही हैं।
मोरिंगा की खेती से बनाई अलग पहचान
डॉ. कामिनी ने आर्गेनिक मोरिंगा (सहजन) की खेती कर अपनी अलग पहचान बनाई। मोरिंगा, जिसे ड्रमस्टिक के नाम से भी जाना जाता है, न्यूट्रिशन और मेडिसिनल क्वालिटी से भरपूर होता है। इसका यूज सांभर, वेजिटेबल, चाय और अन्य प्रोडक्ट्स में होता है। कामिनी ने मोरिंगा से कई प्रोडक्ट, जैसे साबुन, तेल, मच्छर भगाने वाला स्प्रे, मोरिंगा पाउडर और कैप्सूल बनाना शुरू किया। उनकी खासियत है कि उनके सभी उत्पाद पूरी तरह आर्गेनिक हैं।
सरकारी वैज्ञानिक से बनीं किसान
डॉ. कामिनी ने अपनी करियर की शुरुआत लखनऊ स्थित CISH (Central Institute for Subtropical Horticulture) में साइंटिस्ट के रूप में की। 7 साल तक सरकारी नौकरी करने के बाद उनका रुझान आर्गेनिक फॉर्मिंग की तरफ बढ़ा। 2015 में जॉब से इस्तीफा देकर मोरिंगा पर रिसर्च शुरू कर दिया। इस दौरान एक एग्रीकल्चर कंपनी में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में काम किया। वहां किसानों से जुड़ने का मौका मिला और फिर मोरिंगा की खेती शुरू करने का पक्का फैसला लिया।
2017 में शुरू हुआ मोरिंगा प्रोजेक्ट
2017 में, डॉ. कामिनी ने किसानों के साथ मिलकर मोरिंगा की खेती का एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया। मोरिंगा इसलिए चुना क्योंकि यह हर मौसम में उगाया जा सकता है और इसके लिए किसी केमिकल की जरूरत नहीं होती। मोरिंगा की पत्तियों, जड़ और फल में विटामिन और खनिज बड़ी मात्रा में पाया जाता है।
बिजनेस को मिली पहचान
कामिनी ने 2019 में अपनी संस्था की नींव रखी और बड़े लेवल पर काम शुरू कर दिया। मोरिंगा पाउडर, साबुन, तेल और कैप्सूल जैसे प्रोडक्ट बनाने के लिए किसानों के साथ साझेदारी की। शुरुआत में, वह लोकल मार्केट में पाउच पैकिंग में पाउडर बेचती थीं। बाद के दिनों में IIT (BHU) के एग्री-बिजनेस इनक्यूबेटर से जुड़ीं, जहां 25 लाख रुपये का ग्रांट मिला। इस फंड का यूज उन्होंने तेल निकालने और कैप्सूल भरने की मशीन परचेज करने में किया, जिससे उनका प्रोडक्शन बढ़ा।
करोड़ों में पहुंचा कारोबार
डॉ. कामिनी अब 50 से 100 किसानों के साथ काम करती हैं। वह न केवल उन्हें मोरिंगा उगाने की ट्रेनिंग देती हैं, बल्कि उनकी फसल भी खरीदती हैं। इससे किसानों की भी अच्छी इनकम हो रही है। आज उनका सालाना रेवेन्यू करीब 1.75 करोड़ रुपये है, और उन्होंने फाइनेंशियल ईयर 2025 में इसे 2.50 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। उनके प्रोडक्ट ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी उपलब्ध हैं। जिससे उनके प्रोडक्ट की देश भर में बिक्री आसान हो गई है।
Last Updated Jan 22, 2025, 1:32 PM IST