लुधियाना। लुधियाना के दुगरी की रहने वाली सतिंदर कौर ने सिविल सर्विसेज में आने के लिए कड़ी मेहनत की। एक लम्बा सफर तय किया। ग्रेजुएशन के बाद पहले 6 साल नौकरी कर उन्होंने लोन चुकाया। उसके बाद चार साल तक यूपीएससी एग्जाम की तैयारी में जुटी रहीं। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई। यूपीएससी 2020 की परीक्षा में उन्हें सफलता मिली। 

लुधियाना से बीटेक, दिल्ली से एमबीए

सतिंदर कौर का सपना सिविल सर्विसेज ज्वाइन करने का था। शास्त्री नगर से 12वीं तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने लुधियाना कॉलेज आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन में बीटेक किया। फिर दिल्ली से एमबीए की पढ़ाई पूरी की। साल 2011 में उन्होंने अपना सपना पूरा करने के लिए यूपीएससी की परीक्षा दी। पर उन्हें सफलता नहीं मिली। 

लोन चुकाने के लिए शुरु कर दी नौकरी

वह आगे फिर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगना चाहती थीं। पर उन्हें पढ़ाई के लिए लिया गया एजूकेशन लोन भी चुकाना था तो उन्होंने प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने का फैसला लिया। साल 2017 तक विभिन्न एडवरटाइजिंग कम्पनियों में नौकरी की। इसी दरम्यान साल 2015 में उनकी मैरिज भी हो गई। शादी के बाद पति ध्रुव शर्मा का उन्हें पूरा सहयोग मिला। उन्होंने प्राइवेट सेक्टर की नौकरी छोड़ी और सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गईं। वह लगातार यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होती रहीं। आखिरकार चौथे अटेम्पट में उन्हें सफलता मिली।

लगातार असफलताओं के बाद भी नहीं मानी हार

सतिंदर कौर कहती हैं कि एमबीए की पढाई की है। उसके लिए एजूकेशन लोन लिया था। एमबीए के बाद नौकरी लगी और पिताजी ने पढ़ाई के जो लोन लिया था। उसे चुकाना आवश्यक था। इस वजह से एडवरटाइजिंग से जुड़ी कम्पनियों में 2017 तक नौकरी की। साल 2015 में शादी हो गई। पति का सपोर्ट मिला तो 2017 में नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी में जुट गई। हालांकि साल 2018 में सफलता नहीं मिली, प्रीलिम्स तक क्लियर नहीं हो सका। साल 2019 में इंटरव्यू के बाद भी नतीजों से निराशा मिली। इसके बावजूद सतविंदर कौर ने हार नहीं मानी और एक बार फिर साल 2020 के एग्जाम में अपना भाग्य आजमाया। 

आर्थिक दिक्कत और गाइडेंस की कमी

सतिंदर के सामने शुरुआती दिनों से ही बहुत चुनौतियां थीं। एक तरफ आर्थिक समस्या तो दूसरी और गाइडेंस की कमी उनकी राह का रोड़ा बनी। वह उस परिवेश में पली बढ़ी थीं, जहां शुरु से ही कहा जाता था कि लड़कियों के लिए टीचर और बैंक की नौकरी अच्छी होती है। सतिंदर कहती हैं कि पर उन्हें वह नौकरी नहीं भाती थी। उनका सपना तो लड़कियों के लिए पहले से तय करियर के इस बैरियर को पार करना था। समय के साथ उन्हें पता चला कि सिविल सर्विस के बारे में पता चला और शादी के बाद उन्होंने पति से अपनी इच्छा जाहिर की तो उन्होंने पूरा सहयोग किया। 

...ऐसा भी समय आया

परीक्षा की तैयारी के दौरान सतिंदर को स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ा। पर सभी समस्याओं को दरकिनार कर उन्होंने अपना पूरा फोकस परीक्षा की तैयारी पर रखा। सतिंदर कहती हैं कि जब आपको लगता है कि तैयारी ठीक से नहीं हो सकी है और परीक्षा का समय भी काफी नजदीक है। तब अच्छा फील नहीं होता था। लगता था कि एग्जाम के लिए बनी बनाई जिंदगी दांव पर लगा दी।