पंजाब.सच्चा दोस्त कौन होता है इसे साबित किया पंजाब के बब्बर सिंह ने हालांकि बब्बर सिंह ने अपने दोस्त की मदद के लिए एक अनोखा आविष्कार किया था लेकिन इस नायाब काम से वह मशहूर हो गए। जी हां अपने दिव्यांग दोस्त की फरमाइश पर बब्बर सिंह ने एक ऐसी मिनी जीप बनाई जो उनका दोस्त आसानी से चला सकता था,और अपने परिवार को भी जीप में घुमा सकता था। माय नेशन हिंदी से बब्बर सिंह ने अपने विचार साझा किये। 


56 की उम्र में बनाई लिलिपुट जीप 

पेशे से मोटर मैकेनिक बब्बर को बचपन से जीप का शौक था। मनसा में वो एक छोटी सी मैकेनिक की दुकान चलाते हैं।  घर में तीन बेटे हैं , बड़ा बेटा  हरप्रीत सिंह है जिसकी उम्र 35 साल है। तीनो बेटे मोटर वर्कशॉप में काम करते हैं। बचपन से  बब्बर की ख्वाहिश थी की वो एक जीप बनाएं और उनका यह सपना पूरा हुआ 56 साल की उम्र में जब उनके एक दिव्यांग मित्र ने उनसे एक छोटी गाड़ी बनाने को कहा। दरअसल साल 2012 में दोस्त शक्ति ने उनसे एक बग्घी बनाने के लिए कहा ताकि वो अपनी फैमिली के साथ घूमने जा सके। बब्बर ने दोस्त  की फरमाइश को पूरा करने के लिए सोचा क्यों न बग्घी की जगह जीप बनाई जाए, और लग गए जी जान से जीप बनाने में। 


दो  महीने में बनकर तैयार हुई जीप

साल 1975  में स्कूटर के पहियों से बब्बर ने एक क्लाइंट के लिए जीप बनाने का प्रयास किया था लेकिन काम की अधिकता के कारण वो सपना पूरा नहीं हो पाया था। अब बब्बर के पास समय था तो अपना पूरा समय वो जीप बनाने में लगा सकते थे। दरअसल बब्बर के  दिव्यांग दोस्त  स्कूटर तो चला लेते थे लेकिन जब फैमिली के साथ कहीं जाना होता था तो उनके पास कोई ऐसी गाड़ी नहीं थी जिसे ड्राइव करके वह जा सके। बब्बर अपने मिनी गैरेज में दोस्त की फरमाइश को पूरा करने दिन  रात एक कर के काम करने लगे,क्योंकि यह बब्बर की पसंद का काम था इसलिए पूरा मन लगाकर वह अपने दोस्त के लिए एक शानदार किस्म का वाहन बनाना चाह रहे थे। दो  महीने में ये जीप बनकर तैयार हो गयी। 


इस तरह तैयार हुई मिनी जीप 

बब्बर ने सबसे पहले मेटल की शीट से छोटी जीप की बॉडी बनाई फिर स्कूटर का 100cc का एक मोटर और मारुति 800 का स्टेयरिंग लगाकर मिनी जीप तैयार किया। जीप में ऑटोमेटिक इंजन लगाया । यह जीप  45 किलोमीटर प्रति लीटर का एवरेज देती है ।इस जीप में आराम से 4 लोग बैठ सकते थे। जीप को बनाने में सत्तर हजार रुपये का खर्च आया। जीप में बजाज मोटर साइकिल और मारुति सुजुकी के पार्ट्स का इस्तेमाल हुआ है। जीप के आगे के हिस्से में बेंच सीट है, पीछे तीन लोग आराम से बैठ सकते हैं, ये एक आटोमेटिक पेट्रोल जीप है। बब्बर सिंह इस जीप से लोकल मार्किट के साथ पूरा शहर घूमते हैं। 


दो महीने में बनकर तैयार होती है एक जीप 

बब्बर कहते हैं जीप बनाने की खबर जंगल में आग की तरह फैल गयी। मीडिया वाले फोन करने लगे और पंजाब के बाहर से ऐसी जीप  बनाने के आर्डर आने लगे.अब तक 15  ऐसी जीपें बना चुका हूं  जो विकलांग व्यक्तियों  के लिए हैं। इन जीपों में कहीं भी गियर नहीं है और सारे ऑप्शन स्टेरिंग के पास है. शरीर के नीच हिस्से के इस्तेमाल का कोई भी पार्ट नहीं है, जो कुछ है हाथों से ही है। आज बब्बर को पूरे पंजाब के साथ-साथ हरियाणा से भी आर्डर मिलते हैं एक जीप दो महीने  में बनकर तैयार होती है और एक जीप  की कीमत साठ  हज़ार  से अस्सी हज़ार  के बीच में है।


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