इंसान के शौक से अगर किसी बेजुबान का पेट भर जाए तो इससे बेहतर कोई शौक नहीं हो सकता। जोधपुर की सना फिरदौस को बचपन से ही वेस्ट मटेरियल को रिसाइकल करने का शौक था और साथ ही चिड़ियों से लगाव था। अपने इस लगाव को उन्होंने जुनून में बदल लिया। और अपने घर को बना लिया चिड़ियाघर। वेस्ट मटेरियल से चिड़ियों के लिए सना बर्ड फीडर बनाती हैं। और उनके इस काम की वजह से सना का घर बन गया चिड़ियों का अड्डा।
जोधपुर की सना फिरदौस का घर एक छोटा सा चिड़ियाघर है, जहां सुबह शाम ढेरों चिड़िया आती हैं खाना खाती हैं वक्त गुजारती हैं और फिर निकल जाती हैं। इन पंछियों का यह डेली का रूटीन है और इसके पीछे वजह है सना के द्वारा इन पंछियों के लिए बेहतरीन खाने-पीने का इंतजाम। इस काम के लिए सना को कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है। माय नेशन हिंदी से सना ने अपनी जर्नी शेयर किया
कौन है सना फिरदौस
सना कानपुर की रहने वाली हैं और अंग्रेजी से मास्टर्स किया है शादी के बाद वह जोधपुर में सेटल हो गई। सना के तीन बच्चे हैं और सना ने अपने घर को चिड़ियाघर में तब्दील कर दिया है। सना नहीं बताया कि उन्हें बचपन से ही चिड़ियों से बहुत लगाव था। और जब भी उन्हें यह सुनाई देता है की चिड़ियों की तादाद कम हो रही है तो सना को तकलीफ होती है इसलिए सना ने अपने घर में चिड़ियों को दान देने की शुरुआत की
सुबह शाम आते हैं 100 से ज्यादा पंछी
सर ने बताया कि 1 साल पहले जब उन्होंने बर्ड फीडर बनाया था तो एक-दो दिन तक कोई भी चिड़िया नहीं आई लेकिन धीरे-धीरे चिड़िया आने लगी। चिड़ियों की आहट से सारा को पॉजिटिव वाइब्स मिलती थी लिहाजा उन्होंने घर के वेस्ट मटेरियल से और पॉप्सिकल स्टिक से बर्ड फीडर बनाना शुरू किया। घर में कोई भी चीज खराब होती थी सना उसका बर्ड फीडर बना देती थी। धीरे-धीरे पंछियों के साथ-साथ सना के घर में बर्ड फीडर की भी तादाद बढ़ने लगी। इनके लिए सना बेहतरीन खाने-पीने का इंतजाम करती हैं और साफ सफाई का ध्यान रखती हैं।
नेचर लवर है सना
सना ने बताया कि पहले उनके घर में गौरैया या बुलबुल आती थी लेकिन आज उनके घर में टेलरबर्ड सांबर्ड जंगल बबलर जैसे पंछी सुबह शाम आते हैं। यही नहीं यह पंछी अपने साथ अपने रिश्तेदार और दोस्तों को भी लाते हैं।
वेस्ट मटेरियल से बनाती है गिफ्ट आइटम
सना ने बताया घर में जो भी बेस्ट आइटम होता है उसको वह रिसाइकल करके इस्तेमाल कर लेती हैं जैसे सॉस की बोतल फेंकने के बजाय सन उसको कलर कर के फ्लावर वास बना देती हैं। प्लास्टिक के डब्बों को रस्सी की मदद से बास्केट बना देती हैं। सना के पंछी प्रेम का चर्चा न सिर्फ जोधपुर में बल्कि देशभर में फैला हुआ है और उनके इस काम के लिए उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है।
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Last Updated Jan 7, 2024, 9:11 PM IST