हरियाणा. करनाल की  ड्रोन पायलट निशा सोलंकी एग्रीकल्चरल इंजीनियर हैं। ड्रोन के ज़रिये फसलों पर पोषक तत्व, कीटनाशक एवं बीजों का छिड़काव कैसे किया जाता है, इसकी ट्रेनिंग निशा किसानो को देती हैं। मार्च 2022 में निशा को ड्रोन उड़ाने  का सर्टिफिकेट मिला था ,वो हरियाणा की पहली सर्टिफाइड महिला ड्रोन पायलट हैं।  

पिता हैं रिटायर आर्मी ऑफिसर 

माय नेशन हिंदी से बात करते हुए निशा ने बताया कि उन्होंने नागर विमानन महानिदेशालय से कृषि क्षेत्र में ड्रोन ऑपरेटर की ट्रेनिंग ली है। उनके पिता श्री भगवान रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर हैं, अलग अलग शहर में पिता की पोस्टिंग के कारण उनकी और उनके भाई की स्कूलिंग कई शहरों में हुई है। निशा ने 2014 में हरियाणा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी से एग्रीकल्चरल इंजिनीरिंग में  बीटेक किया।  

निशा का था पायलट बनने का सपना 

निशा हमेशा से पायलट बनना चाहती थीं  इसलिए 12वीं के बाद एरोनॉटिक्स इंजीनियरिंग करना चाहती थीं , लेकिन उनके पिता चाहते थे वो एग्रीकल्चर में बीटेक करें, निशा  ने बीटेक करने के बाद 2015 से  2019 तक जॉब किया, उन्होंने एक्सिस बैंक में किसान क्रेडिट कार्ड के लिए एक साल नौकरी की। फिर पोटैटो टेकनोलोजी सेंटर करनाल में नौकरी किया। 

निशा कैसे बनी ड्रोन पायलट 

तीन साल नौकरी करने के बाद निशा ने मास्टर्स करने की सोचा और चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में एमटेक में एडमिशन ले लिया, यहाँ उनकी मुलाकात आयोटेक वर्ल्ड एविगेशन के निदेशक दीपक  भरद्वाज से हुई, जिनसे पता चला सर्टिफाइड ड्रोन पायलट कोर्स करके ड्रोन पायलट बना जा सकता है ,निशा ने इस कोर्स को किया और बन गयीं हरियाणा की पहली ड्रोन पायलट। निशा करनाल के महाराणा प्रताप विश्विद्यालय के तहत आईसीएआर अटारी ड्रोन प्रोजेक्ट का हिस्सा है और अब तक 250 खेतों में डेमो दिया और 780  एकड़ भूमि कवर किया है।  

प्रधानमंत्री से मिलने का मौका मिला 

2022  में सर्टिफिकेट हासिल करने के बाद निशा को प्रधानमंत्री से मिलने का  मौका मिला। प्रधानमंत्री ने उनसे पूछा था की कीटनाशक के छिड़काव के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने से पानी के संरक्षण में क्या मदद मिल सकती है और वो किसानो की किस प्रकार मदद करेंगी ? निशा ने जवाब दिया था की पारम्परिक विधि से किसान 150 से 200 लीटर पानी इस्तेमाल करता है जबकि ड्रोन 10 से 20 लीटर पानी का उपयोग करता है।  

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