गोरखपुरः कहते हैं हौसला बड़ी से बड़ी मुश्किलों को परास्त कर देता है। मेहनत करने वालो के सामने कोई भी मुश्किल आ जाए वो हिम्मत नही हारते। ऐसी ही एक शख़्सियत हैं संगीता पांडेय, जिन्होंने 1500 रु. की लागत लगाकर कुछ फैंसी गिफ्ट बॉक्स बनाया। पहला आर्डर 650 रु. का मिला और अब खूबसूरत गिफ्ट पैकेट का कारोबार 3 करोड़ के टर्नओवर तक पहुंच चुका है। गोरखपुर की संगीता पांडे किसी बड़े बिजनेसमैन घराने से नहीं थी, ना उनकी शादी किसी रईस घराने में हुई। उनके पिता आर्मी ऑफिसर थे और मां हाउस वाइफ। ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर में उनकी शादी हो गई। पति कॉन्स्टेबल थे जो अब प्रमोट होकर हेड कॉन्स्टेबल बन गए। संगीता जीवन में बहुत कुछ करना चाहती थी, लेकिन शादी जल्दी होने के कारण घर गृहस्थी में व्यस्त हो गईं। छोटी बेटी जब 9 महीने की थी तो उन्होंने चाइल्ड लाइन में  इंटरव्यू दिया और उनका सिलेक्शन भी हो गया, लेकिन जब वह बच्ची को लेकर ऑफिस जाती तो लोगों ने ऑब्जेकशन उठा दिया। दूसरे दिन बच्चा घर छोड़कर ऑफिस गई, वापस लौटीं तो बहुत आत्मग्लानि हुई और चाइल्डलाइन की जॉब छोड़ दी। आइए जानते हैं आखिर कैसे जॉब को छोड़ते ही दौड़ पड़ी संगीता की किस्मत...  

पति की एक हां ने पलट दी संगीता की किस्मत

एक दिन संगीता रास्ते से गुजर रही थी, तो उन्हें एक दुकान पर मिठाई के सुंदर-सुंदर डिब्बे दिखे। संगीता के मन में खयाल आया कि क्यों ना इस तरह के खूबसूरत डिब्बे बनाया जाये। मैं भी यह सब बना सकती हूं। घर आकर सबसे पहले उन्होंने पति को उन डिब्बों के बारे में बताया। पति ने संगीता से कहा- हम सबको व्यापार की कोई जानकारी नहीं है। हमारा कोई बैकग्राउंड  बिजनेसवाला नहीं रहा है। माल लाना ले, जाना। उनका लेखा-जोखा रखना, यह सब बड़ा मुश्किल है...तुम कैसे यह सब कर पाओगी ? संगीता ने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा- आप बस हां कर दीजिए, मैं सब संभाल लूंगी।

व्रत रहकर संगीता ने साइकिल से माल उठाया

पति का सपोर्ट पाकर संगीता दूसरे दिन गोरखपुर की लोकल मार्केट में रेंजर साइकिल से जा पहुंची। उन्होंने मार्केट से तकरीबन 1500 रु. का सामान खरीदा। संगीता ने बताया- उस दिन वह तीज का व्रत थीं। साइकिल पर रखकर सामान घर लाईं और पूरा दिन बैठकर 100 खूबसूरत डिब्बे बना डाले। इसके बाद उन्होंने एक झोले में उन डिब्बों को रखकर कई दुकानों पर जा पहुंची लेकिन उन्होंने इतने खराब रिजल्ट की उम्मीद नहीं थी। दुकानदारों ने महंगा प्रोडक्ट कहकर संगीता के डिब्बों को रिजेक्ट कर दिया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वो हर दिन मार्केट में उतरने लगी और दुकानदारों से अपने प्रोडक्ट, उसकी खासियत और डिब्बों की खूबसूरती के बारे में विस्तार से बताने लग गईं। यह सिलसिला तकरीबन एक महीने चला। फिर वो दिन आ गया, जिसका संगीता को इंतजार था। गोरखपुर के पादरी बाजार में मौजूद भगत पनीर की दुकान से संगीता को 650 रुपये का पहला आर्डर मिल गया। उन्होंने भगवान का शुक्रिया अदा करते हुए 650 रु. को माथे से लगाया और पैसे को भगवान के चरणों में चढ़ा दिया। 

650 रु. के पहले ऑर्डर के बाद अब विदेशों से आने लगा कॉल

अब संगीता को ऑर्डर मिलने लगे। डिमांड बढ़ने लगी लेकिन ऑर्डर को कंप्लीट करने के लिए जो सामान पहले खरीदना पड़ता है, उसके लिए पैसों की कमी होने लगी। संगीता ने प्रण ले रखा था कि इस बिजनेस को मुझे एक मुकाम तक ले जाना है। उन्होंने अपनी ज्वेलरी को गिरवी रख दिया और उससे गोल्ड लोन उठा लिया। लोन के पैसों से संगीता ने प्रोडक्ट की सप्लाई बढ़ा दी। कुछ लोग भी रखे लिए। नतीजा यह रहा कि देखते-देखते संगीता का बिजनेस चल निकला। देश-विदेश से ऑर्डर आने लगे। बता दें, इस समय उत्तर प्रदेश के 16 जिलों में उनका बिजनेस चल रहा है। उन्होंने एक कंपनी सिद्धिविनायक पैकेजर्स खोल लिया है, जहां पर काम करने के लिए सैकड़ों वर्कर हैं। संगीता का कारोबार चाइना तक फैल गया है, वहां से रेगुलर ऑर्डर आते रहते हैं। बिज़नेस के सिलसिले में हफ्ते में दो बार ट्रेवल करना पड़ता है। संगीता कहतीं हैं- आज सब कुछ है लेकिन जो ख़ुशी पहले ऑर्डर के 650 रु. में थी वो 3 करोड़ में नहीं। बता दें, आज उनकी कंपनी का टर्नओवर 3 करोड़ है। इन सबका श्रेय वह अपने पति को देती हैं।

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