बरेली के नवाबंज के ग्रेम निवासी सर्वेश कुमार सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहते थे। चार प्रयासों के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिली तो उन्होंने खेती में ही कुछ अच्छा करने की सोची। आईवीआरआई स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में उनका संपर्क प्रगतिशील किसानों और कृषि विशेषज्ञों से हुआ। बातचीत के दौरान उन्हें एहसास हुआ कि जैविक खेती कर अपनी आय बढ़ाई जा सकती है।
बरेली। बरेली के नवाबंज के ग्रेम निवासी सर्वेश कुमार सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहते थे। चार प्रयासों के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिली तो उन्होंने खेती में ही कुछ अच्छा करने की सोची। आईवीआरआई स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में उनका संपर्क प्रगतिशील किसानों और कृषि विशेषज्ञों से हुआ। बातचीत के दौरान उन्हें एहसास हुआ कि जैविक खेती कर अपनी आय बढ़ाई जा सकती है। फिर उन्होंने जैविक खेती की बारीकियां सीखने की तरफ ध्यान दिया और मौजूदा समय में खुद जैविक खेती करने के अलावा किसानों को भी प्रोत्साहित करने का काम करते हैं। सर्वेश कुमार ने एमए तक पढ़ाई की है।
सामान्य फसल से डेढ़ से दोगुना तक कीमत
सर्वेश कहते हैं कि जैविक खेती से उपजे फसलों की कीमत सामान्य खेती के फसल से डेढ़ से दोगुना तक होती है। पहले साल जैविक खेती का असर सामान्य ही होता है। पर तीसरे साल से इसके अच्छे परिणाम नजर आने लगते हैं। अभी वह 17 बीघे में जैविक खेती का काम कर रहे हैं। वह अपने फसलों में किसी रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते हैं। उन्होंने गन्ने की आर्गेनिक फार्मिंग की और गुड़ बनाया। जिसकी बिक्री से सामान्य फसल की अपेक्षा में डेढ़ गुना ज्यादा आमदनी हुई थी।
दीमक लगने की समस्या से इस तरह पाया छुटकारा
सर्वेश कुमार ने खेती के तौर तरीके बदलकर अपनी आमदनी बढ़ाई। फसल में दीमक लगने की समस्या को उन्होंने बिना रसायन के इस्तेमाल के खत्म किया। उन्होंने गन्ने और सब्जियों के खेत के चारो ओर बीच-बीच में हल्दी बोकर दीमक की समस्या से छुटकारा पाया और सब्जियां बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया था। इसको लेकर भी वह चर्चा में रहे थे।
गन्ने के साथ सब्जियों की खेती
उन्होंने गन्ने के साथ जैविक सब्जियों की भी खेती की। गन्ने के साथ खीरा, भिण्डी, तोराई, लौकी, बैंगन, चुकन्दर, मूली और धनियां आदि सब्जियों की अच्छी उपज हुई। जिससे उनकी आय बढ़ी। गन्ने की खेती की उनकी लागत सहफसली खेती से ही मिलने लगी।
किसानों को भी करते हैं प्रशिक्षित
सर्वेश कुमार कहते हैं कि वह किसानों को प्रशिक्षित करने का भी काम करते हैं। किसानों से जुड़े कार्यक्रमों में उन्हें बुलाया भी जाता है। वह किसानों को जैविक खेती के फायदे के बारे में बताते हैं। उन्हें प्रगतिशील किसान का अवार्ड भी मिल चुका है। उनसे अब तक 250 से 300 किसान जुड़ चुके हैं।
Last Updated Jul 1, 2023, 6:20 PM IST