राजस्थान. बापी गांव के राम भजन कुमार अपने गांव के पहले शख्स हैं जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा क्रैक किया है। कॉन्स्टेबल के पद पर रहते हुए राम भजन ने यह परीक्षा पास की है। इस तरक्की के पीछे उनकी बेपनाह मेहनत है जो उन्हें इस मुकाम तक ले गई है। गरीब घर से ताल्लुक रखने वाले राम भजन कुमार का फोन 23 मई को एकदम से व्यस्त हो गया जब दिल्ली पुलिस ने अपने टि्वटर अकाउंट से राम भजन कुमार को यूपीएससी सिविल सर्विस की परीक्षा पास करने की बधाई दी। यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई और रिश्तेदार नातेदार दोस्त राम भजन को फोन करके बधाई देने लगे। गांव के इकलौते शख्स हैं राम भजन जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास की है साथ ही अपने रिश्तेदारों में भी वह पहले शख्स हैं जिन्होंने यह कामयाबी हासिल की है।


पिता की मौत के बाद मां ने पत्थर तोड़ा

राम भजन के पिता बकरी और मवेशी चराने का काम करते थे लेकिन उनसे घर का गुजारा मुश्किल हो गया तो उनके पिता ने शहर जाकर आइसक्रीम खरीद कर गांव में बेचना शुरू किया, लेकिन यह काम भी घर चलाने के लिए कम पड़ रहा था तब बापी में इंडस्ट्रियल एरिया में पत्थर तोड़ने का काम करने लगे। उस वक्त राम भजन की उम्र 5 या 6 साल थी । इस काम से राम भजन के पिता को अस्थमा हो गया और धीरे-धीरे उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया। घर चलाने के लिए उनकी मां ने पत्थर तोड़ने का काम शुरू किया राम भजन भी अपनी मां के साथ जाते और पत्थर तोड़ते। पढ़ाई के साथ-साथ राम भजन पत्थर तोड़ने का भी काम करते रहे। रोज सुबह अपनी मां को साइकिल पर बैठा कर लाते और मां बेटे पत्थर तोड़ने का काम करते फिर 25 टोकरी में पत्थर तोड़ कर भरा जाता इतने काम के ₹10 मिलते थे।

 

फटे कपड़े पहन कर जाते थे स्कूल 

पत्थर तोड़ने के अलावा राम भजन भूसा भी ढोते थे, पांच ₹10 कमाने के लिए कई कई घंटा लोगों के यहां काम करते थे। घर में बिजली नहीं आती थी तो बोतल की ढेबरी बनाकर पढ़ाई करते थे। स्कूल जाने के लिए बस एक कपड़ा होता था फट जाता तो दोबारा उसी कपड़े को सिला जाता पूरे कपड़े में जगह-जगह टांके लगे होते थे। कहीं आने जाने के लिए भी 1 जोड़ी कपड़ा रहता था जिसे  यह बाहर जाने वाला कपड़ा कहा जाता था।

 

कर्ज़ लेकर किया पढ़ाई

राम भजन घर के हालात भी देख रहे थे और पढ़ना भी चाहते थे।गांव के ही सरकारी स्कूल में 12वीं तक पढ़ाई की, फीस के  पैसे नहीं होते थे तो कर्ज़ लेकर पढ़ाई कर रहे थे। ग्रेजुएशन में एडमिशन लिया तो सरकारी नौकरी करने की ठान लिया। पुलिस की नौकरी करने का मन था एक साथ चार एग्जाम के फॉर्म भर दिए। दिल्ली पुलिस कांस्टेबल में सिलेक्शन हो गया।  इंटरव्यू में भी फटा पुराना कपड़ा ही पहन कर गया। 2022 में राम भजन हेड कांस्टेबल बन गए। 14 साल दिल्ली पुलिस में नौकरी करते रहें साथ में सिविल सर्विसेज की पढ़ाई भी करते रहे।ड्यूटी के साथ साथ राजस्थान यूनिवर्सिटी से बतौर प्राइवेट स्टूटेंड अपनी ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन पूरी की। पहली बार वर्ष 2018 में मैन्स परीक्षा दी लेकिन इंटरव्यू के लिए चयन नहीं हो सका। इसके बाद निरंतर परिश्रम और धैर्य के साथ तैयारी करते हुए सिविल सेवा परीक्षा 2022 में अंततः सफलता मिली।  आठवें अटेम्प्ट में रामभजन ने यूपीएससी क्रेक किया। 


 

पत्नी को भी करा दिया B.Ed

2012 में राम भजन की शादी हो गई, इसी  वर्ष 2012 में नेट/JRF हिंदी से पास किया। 1 साल बाद बच्चा भी हो गया। उनकी पत्नी अंजलि सिर्फ आठवीं क्लास तक पढ़ी हुई थीं। गांव में लड़कियों को नहीं पढ़ाया जाता था लेकिन राम भजन ने अपनी पत्नी को पढ़ाने की ठान ली। पूरे गांव में किसी ने सरकारी नौकरी नहीं की, 10वीं 12वीं के आगे कोई नहीं पढ़ पाया। राम भजन के भाई ने 12वीं किया है जबकि दोनों बहने पढ़ी-लिखी नहीं है। पत्नी ने मास्टर्स कंप्लीट किया उसके बाद B.Ed कर लिया। यूपीएससी रैंक के मुताबिक रामभजन को इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट्स सर्विस की पोस्ट मिली है इस वक्त वह मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में ट्रेनिंग कर रहे हैं ।

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