अजमेर। राजस्थान के अजमेर के रहने वाले शोभित सोनी को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान कुल्हड़ बनाने का आइडिया आया। आज वह कुल्हड़ बनाकर लाखो रुपये कमा रहे हैं। देश के लगभग सभी राज्यों में कुल्हड़ बनाने की मशीन दे चुके हैं। MY NATION HINDI से बात करते हुए शोभित कहते हैं कि पढ़ाई के दौरान ही हम लोग चाय की टपरी पर चाय पीने जाते थे। उस समय कांच के गिलास में चाय सर्व की जाती थी। डिस्पोजेबल गिलास का ज्यादा चलन नहीं था। कांच की गिलास साफ करने के लिए अलग-अलग बाल्टियों में पानी भरा होता था। उन्हीं में बारी-बारी से डुबाकर गिलास साफ की जाती थी। चाय की गिलास साफ करने का यह अनहाइजीनिक तरीका काफी करीब से देखा। उसी समय चाइना में कोरोना वायरस भी फैल रहा था। बस वहीं से कुल्हड़ बनाने का आइडिया आया।

 

मूवेबल टी शॉप चलाई, 10 रुपये में बेचने लगे कुल्हड़ की चाय

उसी दौरान शोभित ने चाय इंडस्ट्री पर स्टडी की। चाय के अलग अलग ब्रांड को कम्पेयर किया, तो पाया कि वह काफी महंगी चाय बेचते थे। उन्हें लगा कि यदि हम कम कीमत में अच्छी क्वालिटी की चाय लोगों को सर्व करें तो बिजनेस चल जाएगा। फिर उन्होंने बेंगलुरु से 'टी टेस्टिंग एंड ब्लेंडिंग' में डिप्लोमा किया। टी टेस्टिंग सीखने के साथ किस क्वालिटी के चाय अच्छी होती है, इस बारे में जाना और फिर वापस आकर इलेक्ट्रिक व्हीकल पर मूवेबल टी शॉप बनाई और 10 रुपये में कुल्हड़ की चाय बेचना शुरु कर दिया। 

लॉकडाउन के दरम्यान शुरु कर दी फैक्ट्री

शोभित ने कुल्हड़ का व्यवसाय शुरु किया तो उसके पीछे एक और वजह रही, जिसने उन्हें कुल्हड़ का व्यवसाय शुरु करने के लिए फोर्स किया। दरअसल, शोभित ने 2017 में कम्प्यूटर साइंस से इजींनियरिंग के बाद पुणे से ही इंटरनेशनल बिजनेस में एमबीए किया है। 28 वर्षीय शोभित कहते हैं कि साल 2019 में 'कटिंग मेरी वाली चाय' का ब्रांड भी शुरु किया था। उसके लिए कुल्हड़ परचेज करते थे, कुल्हड़ में ब्रेकेज बहुत आता था। कभी समय से नहीं मिलता था। पैसा भी फंसा, तो उन परिस्थितियों को भी देखा। फिर अप्रैल 2020 में लॉकडाउन के दरम्यान ही कुल्हड़ की मैन्यूफै​क्चरिंग के लिए कंस्ट्रक्शन वर्क शुरु करा दिया। मशीन वगैरह लगाकर काम शुरु कर दिया। अब पूरे देश में लोगों को छोटे-छोटे मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाकर दे रहे हैं। पिछले साल 40 से 42 प्लांट लगाए हैं। 

 

लाखों के नुकसान के बाद भी नहीं रूकें, अब टर्नओवर 2.5 करोड़

कुल्हड़ बनाने का काम शुरु करना आसान नहीं था। शुरुआती दिनों में उन्हें लाखों रुपये का नुकसान भी हुआ। अब झारखंड और तमिलनाडु राज्य सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। 6 लाख रुपये में लोगों को कुल्हड़ बनाने की मशीनरी सेटअप कराने के साथ 10 दिन की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। खुद का एक ऐप भी बना रहे हैं। शोभित कहते हैं कि जितने भी प्लांट लगाए हुए हैं। उन सभी सेलर्स को अपने प्लेटफार्म पर लिस्ट करेंगे। ऐप पर आर्डर आएगा तो भौगोलिक परिस्थतियों के अनुसार, नजदीकी प्लांट से माल उठेगा। अभी भी यदि कुल्हड़ के लिए कोई कॉल आता है तो हम उन्‍हें नजदीकी प्लांट से आर्डर दिलवाते हैं।​ 'मिट्टी सा' नाम से उनका ब्रांड है। अभी उनकी कम्पनी का टर्नओवर लगभग 2.5 करोड़ रुपये है।

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