Success Story: UPSC 2016 टॉपर IAS अधिकारी नंदिनी केआर की सफलता की कहानी प्रेरणादायक है। कर्नाटक के कोलार जिले के केम्बोडी गांव की रहने वाली नंदिनी के मां-पिता टीचर थे। घर में शुरु से ही एजूकेशन को लेकर संजीदा माहौल था। पढ़ाई में तेज नंदिनी सरकारी स्कूल से पढ़ीं। चिकमंगलूर के मूदाबिदरी से 12वीं तक की पढ़ाई की। जिसमें उनके 94.83 फीसदी मार्क्स आए थे। बेंगलुरु के एमएस रमैया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया, गोल्ड मेडल जीता। 

इंजीनियरिंग के बाद IAS बनना था सपना

इंजीनियरिंग के बाद नंदिनी का सपना आईएएस बनने का था। यूपीएससी की तैयारी शुरु कर दी। साल 2013 में पहली बार यूपीएससी एग्जाम में शामिल हुईं। पर उनका प्रीलिम्स क्लियर नहीं हो सका। साल 2014 में फिर यूपीएससी का फॉर्म भरा। उसी दौरान कर्नाटक के पीडब्लूडी विभाग में असिस्टेंट इंजीनियर की नौकरी मिल गई। ​फिर कन्नड़ लिटरेचर आप्शनल सब्जेक्ट के साथ वह इंटरव्यू तक पहुंची। 642वीं रैंक आई। पर ज्यादा मार्क्स न होने के कारण उन्हें IRS (कस्टम एंड एक्साइज) कॉडर मिला। 

 

 2015 में IRS सर्विस ज्वाइन करने के बाद फिर तैयारी

दिसम्बर 2015 में आईआरएस सर्विस ज्वाइन करने के बाद भी नंदिनी आईएएस बनने की कोशिश करती रहीं और दिल्ली में तैयारी करने का फैसला लिया। ताकि यूपीएससी एग्जाम में उन्हें अच्छी रैंक हासिल हो सके। तीसरी बार फिर वह यूपीएससी एग्जाम में शामिल हुईं। प्रीलिम्स एग्जाम क्लियर हो गया। पर मेंस से पहले डेंगू से पीड़ित हो गईं। ऐसी हालत में वह एग्जाम में शामिल नहीं हो सकी। यह उनके लिए एक बुरे सपने की तरह था। 

UPSC-2016 में 1st रैंक

नंदिनी ने हार नहीं मानी और चौथी बार यूपीएससी एग्जाम में शामिल होने का फैसला लिया। बाकायदा एक टाइम टेबल बनाया और उसके मुताबिक एग्जाम की तैयारी में जुट गईं। यूपीएससी के फाइनल रिजल्ट ने उन्हें ही नहीं बल्कि उनके दोस्तों को भी चौंका दिया, क्योंकि साल 2016 के यूपीएससी एग्जाम में उनकी पहली रैंक आई थी। दोस्तों के चौंकने की वजह भी वाजिब थी।

इस वजह से रिजल्ट पर य​कीन करना हो रहा था मुश्किल

दरअसल, रिपोर्ट्स के अनुसार, यूपीएससी 2016 का रिजल्ट आने से हफ्ते भर पहले नंदिनी के दोस्त उनकी खिंचाई करने लगे थे। मजाक में उन्हें यूपीएससी टॉपर कहकर चिढ़ाया जाता था। दोस्त कहते थे कि इस बार नंदिनी यूपीएससी टॉप करेगी। हुआ भी वही। दोस्तों ने जो बात मजाक में कही थी। वही सच हो गई थी तो इस पर यकीन करना मुश्किल हो रहा था। 

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