नई दिल्ली। दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क की सक्सेस में इलेक्ट्रिक कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनी टेस्ला और एयरोस्‍पेस कंपनी 'स्पेसएक्स' ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बिजनेस के अवसरों की शुरुआत में ही पहचान कर वह आगे बढ़ें। ठीक उसी तरह से इसरो के एम्पलाई रहे IITian पवन कुमार चांदना ( Pawan Kumar Chandana) ने भी अवसरों की पहचान की। उनका साथ दिया IITian नागा भारत डाका ( Naga Bharat Daka) ने। वह भी पूर्व इसरो कर्मचारी रहे हैं। 

दोनों दोस्तों ने मिलकर अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करने के लिए साल 2018 में भारत की पहली प्राइवेट कम्पनी स्काईरूट एयरोस्पेस की शुरुआत की। उस समय देश में एयरोस्पस सेक्टर में काम करने वाली कंपनी शायद ही बनी होगी। यदि बनी भी होगी तो वह एक लेबल तक आगे नहीं बढ़ सकी होगी। जितना कि ये दोनों दोस्त मिलकर स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospece)  को आगे लेकर गए। 

12 जून 2018 को रखी स्टार्टअप की नींव

पवन कुमार चांदना और भारत नागा डाका ने 12 जून 2018 को स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस की नींव रखी। उनकी सबसे बड़ी मुश्किल काम शुरु करने के लिए शुरुआती फंड की थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, उसी दौरान पवन कुमार चांदना की मुलाकात Myntra के फाउंडर मुकेश बंसल से हुई। जिन्होंने इस प्रोजेक्ट में इन्वेस्ट करने में रूचि दिखाई। उसके बाद उनके प्रोजेक्ट को इनवेस्टर्स मिलने शुरु हो गए।  

IITian दोस्तों ने इसरो की नौकरी छोड़ी

दोनों IITian दोस्तों ने इसरों की अच्छी खासी नौकरी छोड़कर स्पेस स्टार्टअप शुरु किया था। देश में प्राइवेट रॉकेट बनाकर सफलतापूर्व लॉन्च करने की तैयारी में जुट गए। वह भी तब जब स्पेस से जुड़ी एक्टिविटी इसरो तक ही सीमित थी। ऐसे में यह काम आसान नहीं था। इसरो में काम करने की वजह से उन्हें स्पेस पॉलिसीज के बारे में जानकारी थी। दोनों दोस्तों को लगा कि उनकी सफलता के बाद देश में स्पेस टेक्नोलॉजी सेक्टर में काम करने वाले प्लेयर्स की संख्या बढ़ेगी। जिससे भारत स्पेस सेक्टर में मजबूत होगा। 

2024 में स्वदेशी विक्रम-1 रॉकेट लॉन्च करने की तैयारी

पहली बार 18 नवम्बर 2022 को देश की प्राइवेट स्पेस कम्पनी Skyroot Aerospece ने सफलता पूर्वक रॉकेट लॉन्च किया। जिसे विक्रम एस ( Vikram-S) नाम दिया गया। अब स्काईरूट एयरोस्पेस साल 2024 में स्वदेशी विक्रम-1 रॉकेट लॉन्च करने की तैयारी में है। पवन कुमार चांदना और भारत नागा डाका ने जब अपना स्पेस प्रोग्राम 'मिशन प्रारंभ' (Mission Prarambh) शुरु किया था तो उनके मिशन की तुलना एलन मस्क के स्पेसएक्स (SpaceX) से की जाने लगी। इसी तरह मस्क ने भी साल 2008 में पहली बार स्पेस में प्राइवेट लिक्विड फ्यूल रॉकेट लॉन्च किया था।

कौन हैं पवन कुमार चांदना?

पवन कुमार चांदना ने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। शुरुआती दिनों से ही रॉकेट और स्पेस साइंस से लगाव रखने वाले चांदना ने पढ़ाई के दौरान नासा ( NASA) के एक प्रोग्राम में काम किया। फिर इसरो में नौकरी करने लगे। वहीं उनकी मुलाकात आईआईटी मद्रास से पढ़े नागा भारत डाका से हुई। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में चांदना साइंटिस्ट के रूप में तो नागा बतौर इवियोनिक्स इंजीनियर कार्यरत थे। दोनों की मुलाकात दोस्ती में बदल गई। स्पेस कमर्शियल इंडस्ट्री के बारे में रिसर्च के बाद दोनों दोस्तों ने मिलकर एयरोस्पेस कम्पनी शुरु कर दी।

कम्पनी की साइज 1,304 करोड़ रुपये

पवन कुमार चांदना ने एक साइंटिस्ट के रूप में इसरो में 6 साल रहे। स्काईरूट एयरोस्पेस ने 2018 में अपनी स्थापना के बाद अब तक 95 मिलियन डॉलर फंड जुटाया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2022 में कम्पनी की साइज करीबन 1,304 करोड़ रुपये आंकी गई थी।

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