नयी दिल्ली। दिल्ली के कन्नव ठुकराल (Kannav Thukral) ने पढ़ाई के बाद नौकरी की राह पकड़ी। उनके पिता स्पेयर पार्ट्स का काम करते थे। कुछ समय बाद उन्होंने भी नौकरी छोड़कर पिता के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। वहीं से उन्हें मोबाइल फोन बनाने का आइडिया आया। पहले नामी गिरारी कम्पनियों से फोन मंगाकर बेचने लगें। फिर खुद की फैक्ट्री शुरू की। ब्लैकजोन (Blackzone) के नाम से स्मार्टफोन बनाने लगे। अब श्रीलंका और नेपाल को भी एक्सपोर्ट करते हैं। देश के ग्रामीण इलाकों में इसकी अच्छी डिमांड है। कम्पनी का टर्नओवर 110 करोड़ है।

GNIIT के बाद नेटवर्क इंजीनियर की जॉब

कन्नव ठुकराल के पिता पंजाब के लुधियाना के रहने वाले हैं। कारोबार के सिलिसले में दिल्ली आएं तो यहीं के होकर रह गए। स्कूटर के स्पेयर पार्ट्स की दुकान चलाने लगे। दिल्ली में ही कन्नव का जन्म हुआ। दरबारी लाल डीएवी मॉडल से शुरूआती पढ़ाई के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से कामर्स में ग्रेजुएशन किया। NIIT से GNIIT कोर्स की भी डिग्री ली। वहीं से ल्यूसेंट टेक्नोलोजीज में नेटवर्क इंजीनियर की जॉब मिली। 

3 साल नौकरी के बाद संभाला पिता का कारोबार

कन्नव ठुकराल 3 साल तक नौकरी करते रहें और साथ ही पिता के कामों में भी हाथ बंटाते रहे। एक दिन नौकरी छोड़कर पूरी तरह बिजनेस में आ गए। तब दिल्ली के खान मार्केट में उनकी शॉप पर लग्जरी गाड़ियों के स्पेयर पार्ट्स मिलते थे, जो जर्मनी, दुबई और जापान से मंगाए जाते थे। उसी समय उन्होंने नोकिया के फीचर फोन के स्पेयर पार्ट्स बेचने का काम भी शुरू किया।

सोनीपत में शुरू की फीचर फोन बनाने की फैक्ट्री

यह वह समय था। जब देश में मोबाइल फोन सेक्टर उछाल पर था। कन्नव फीचर फोन के स्पेयर पार्ट्स बेच ही रहे थे। उसी समय कुछ लोगों ने चीन से पार्ट्स मंगाकर इंडिया में फोन की असे​म्बलिंग करनी शुरू कर दी। यह देखकर कन्नव ने हरियाणा के सोनीपत में फैक्ट्री लगा दी और कारा ब्रांड से फीचर फोन का निर्माण शुरू कर दिया। कम कीमत होने की वजह से देश के ग्रामीण इलाको में बिकने लगें।

10 हजार से कम कीमत वाले स्मार्टफोन की डिमांड

2016 में कन्नव ने ब्लैकजोन (Blackzone) नाम से स्मार्टफोन का निर्माण शुरू कर दिया। यूपी, बिहार, वेस्ट बंगाल समेत कई राज्यों में इसकी बिक्री शुरू कर दी। 10 हजार से कम कीमत वाले स्मार्टफोन की डिमांड भी खूब है। साथ ही स्पीकर और स्मार्ट वॉच वगैरह भी बनाते हैं। मौजूदा समय में उनकी कम्पनी का टर्नओवर 110 करोड़ रुपये है। भारत के ग्रामीण इलाकों को ध्यान में रखकर वह प्रोडक्ट बनाते हैं। श्रीलंका और नेपाल में भी एक्सपोर्ट करते हैं।

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