नई दिल्‍ली। मुंबई के ओशिवारा इलाके के एक साधारण परिवार में जन्मे अशफाक चूनावाला को 10वीं क्लास के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी तो पिता का हाथ बंटाने के लिए एक परचून की दुकान पर नौकरी शुरू कर दी। 1500 रुपये महीना वेतन मिलता था। पर कम उम्र में ही आंखों में कुछ बड़ा करने का सपना संजोए थे। कुछ साल बाद एक अपैरल स्टोर में मैनेजर बनें और फिर रात में कार चलाने लगे। अब साल का 36 करोड़ कमाते हैं। 400 कारों का बेड़ा है। Jibz India नाम से कैब का बिजनेस चलाते हैं।

डिपार्टमेंटल स्टोर में 10 साल नौकरी

अशफाक ने परिवार चलाने के लिए डिपार्टमेंटल स्टोर में करीबन 10 साल नौकरी की। फिर एक स्टोर में मैनेजर बनें तो उनकी सैलरी बढ़कर 35,000 रुपये हो गई। बचत के पैसों को उन्होंने कुछ जगहों पर इंवेस्ट भी किया। पर वह भी डूब गया और कर्ज में चढ गया। वह अपनी फाइनेंशियल ​पोजीशन को बेहतर करना चाहते थे और एक अच्छे अवसर की तलाश में थेे।

एक राइड-हेलिंग ऐप के विज्ञापन ने बदल दी जिंदगी

साल 2013 में एक राइड-हेलिंग ऐप के विज्ञापन पर उनकी नजर पड़ी। वही उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। वह समझ गए कि इस काम से मुनाफा कमाया जा सकता है। सस्ते में एक छोटी सी कार खरीदी और ऐप से जुड़ गए। पार्ट-टाइम ड्राइवर का काम भी करने लगे। वह समय ऐसा था कि अशफाक दिन भर स्टोर में बतौर मैनेजर काम करते और रात के समय कार ड्राइव करते थे। ड्राइविंग से महीने में लगभग 15,000 रुपये कमाने लगे तो उनका उत्साह बढ़ा।

बैंक से लोन पर खरीदते रहें कार, कमाई से चुकाई ईएमआई

अब अशफाक के पास कुछ पैसे बचें तो अपनी बहन से कुछ और पैसे लिए और दूसरी कार खरीदी। अब दोनों कारों से उनकी कमाई बढ़ गई। इस धंधे में मुनाफा देख उन्होंने बैंक से लोन लिया और फिर कारें परचेज की। इस तरह लोन की ईएमआई भरने के बाद बचे हुए पैसों को वह कार खरीदने में लगा देते। एक लोन खत्म होता तो दूसरी कार खरीद लेते। इस तरह लगातार उनकी कमाई बढ़ती रही।

10 साल में 400 कारों का बेड़ा

लगभग 10 साल में उनके पास 400 कार हो गएं। अब उनसे ही महीने में 3 करोड़ इनकम होती है। आने वाले दिनों में वह 100 कारें और खरीदने वाले हैं। उनके काम से प्रभावित होकर कार रेंटल ऐप ने उन्हें बेस्ट एंटरप्रेन्योर का पुरस्कार भी दिया। वह अपने बिजनेस की सफलता में ड्राइवरों का अहम योगदान मानते हैं। उनकी सुख-​सुविधाओं का पूरा ख्याल रखते हैं और उन्हें काम पर लगाने से पहले ट्रेनिंग भी देते हैं। इस तरह कभी 1500 रुपये महीने कमाने वाले अशफाक चूनावाला कुछ ही वर्षों में करोड़पति बन गए और असंभव को भी संभव कर दिखाया। उनकी कहानी औरों के लिए प्रेरणादायक है।
 

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